राज्य अपराध अभिलेख ब्यूरो (एससीआरबी) ने चार जून को मुख्य आरोपित फाहद याजदानी, शाहिद मंजूर, नवाजिश और दो अन्य सदस्यों के गिरोह को राज्य स्तर पर धोखाधड़ी गैंग के रूप में चिह्नित किया है। इसको अब सरकारी आंकड़ों में आईएस-123/2024 नाम से पहचाना जाएगा। जेसीपी क्राइम के पत्र पर कार्रवाई हुई है।

एससीआरबी में लंबे समय बाद प्रदेश स्तर पर जालसाजी कर अरबों की धोखाधड़ी करने वाला कोई गिरोह चिह्नित किया गया है। एससीआरबी के एसपी के पत्र के मुताबिक 10 मई को जेसीपी ने गैंग लीडर डालीबाग में पेंट हाउस-अलाया होम्स अपार्टमेंट निवासी फाहद याजदानी व उनके गिरोह के सदस्य पुराना भोपाल हाउस निवासी सायम याजदानी, गैलेक्सी अपार्टमेंट निवासी शराफत अली, मेरठ निवासी मो. तारिक, देहली गेट-मेरठ निवासी नवाजिश, पूर्व मंत्री शाहिद मंजूर को संगठित गिरोह बनाकर शहर में फ्लैट दिलाने के नाम पर धोखाधड़ी में लिप्त बताया था। कहा था कि गिरोह के सदस्यों के क्रियाकलापों पर पैनी नजर रखने की जरूरत है। लिहाजा गैंग को अंतरराज्यीय (आईएस) स्तर पर धोखाधड़ी गैंग के रूप में चिह्नित करने की संस्तुति की गई थी। इस पर एससीआरबी ने इसे सूचीबद्ध किया।
हजरतगंज पुलिस ने इसी साल 10 मार्च को फाहद याजदानी, तारिक, सायाम, शाहिद मंजूर, उनके बेटे नवाजिश के खिलाफ चार्जशीट कोर्ट में दाखिल की थी। इसमें आरोप लगाया गया था कि अलाया अपार्टमेंट को दो अगस्त, 2010 को गिराने का आदेश हुआ था। यहां रहने वालों से अपार्टमेंट खाली करने का आदेश एलडीए को दिया गया था। एलडीए हरकत में आता, इससे पहले हादसा हो गया।अंतरराज्यीय स्तर पर गिरोह चिह्नित होने के बाद पुलिस आरोपितों व सरगना की सम्पत्ति का ब्योरा पता करती है। गैंगस्टर के तहत कार्रवाई होते ही सम्पत्ति को कुर्क करने की प्रक्रिया शुरू कर दी जाती है। जेसीपी कानून-व्यवस्था उपेन्द्र कुमार अग्रवाल ने बताया कि इस गिरोह ने अरबों रुपए की धोखाधड़ी की है। एंटी भू-माफिया सेल में भी इनके खिलाफ शिकायतें थीं।
पिछले साल 25 जनवरी को हजरतगंज के डालीबाग में अलाया अपार्टमेंट पूरी तरह से धंस गया था जिसके मलबे में दबने से सपा प्रवक्ता हैदर अब्बास की पत्नी उजमा, उनकी मां बेगम हैदर और शिक्षिका शबाना खातून की मौत हो गई थी। आरोपित बिल्डर फाहद याजदानी को बचाने की कोशिश भी हुई थी पर तूल पकड़ने पर पुलिस उसकी तलाश में लग गई थी।

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