लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार के बेसिक शिक्षा विभाग ने अंतर्जनपदीय स्थानांतरण में पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जिलों को स्थानांतरण प्रक्रिया से अलग कर दिया है, विभाग का कहना है कि इन जिलों में कोई वैकेंसी नहीं है। रालोद के बुढ़ाना से विधायक और विधान मंडल दल के नेता राजपाल बालियान ने इस पर आपत्ति जताते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को चिट्ठी लिखी है। इसी बीच इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार द्वारा जारी की गई नीति को वैध करार देते हुए कहा कि शिक्षक अधिकार स्वरूप तबादले की मांग नहीं कर सकते।
रालोद विधायक राजपाल बालियान ने मुख्यमंत्री को लिखी एक चिट्ठी में कहा है कि प्रदेश के बेसिक शिक्षा विभाग में अंतर्जनपदीय स्थानांतरण की प्रक्रिया शुरू हो गई है, जिसमें मुजफ्फरनगर, बागपत, मेरठ, गौतम बुध नगर, हापुड, गाजियाबाद को इस प्रक्रिया से अलग कर दिया गया है। उन्होंने बताया कि विभाग ने इन जनपदों में कोई वैकेंसी खाली नहीं दर्शाई है जबकि इन जनपदों के हजारों महिला पुरुष शिक्षक पिछले कई सालों से अपने घर के निकट आने की बाट देख रहे हैं लेकिन उनको घोर निराशा का सामना करना पड़ रहा है।
उन्होंने लिखा है कि बहुत सारे लोगों के घरों में परेशानियां हैं ,उनके बूढ़े माता-पिता और उनके बच्चे और परिजन बीमारियों का सामना कर रहे हैं। रालोद विधायक ने इन जिलों में भी वैकेंसी निकालकर इन जनपदों के निवासी शिक्षक शिक्षिकाओं को स्थानांतरित करने का अनुरोध किया है।
इसी बीच इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार द्वारा बेसिक स्कूलों में पढ़ा रहे शिक्षकों के तबादला के लिए 2 जून, 2023 को जारी शासनादेश को सही ठहराते हुए टीचरों की याचिका खारिज कर दिया है। कोर्ट ने कहा है कि टीचर अधिकार स्वरूप तबादलों की मांग नहीं कर सकते। हाईकोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि बेसिक एजुकेशन बोर्ड द्वारा टीचरों के तबादलों को लेकर बनाई गई नीति में उचित निर्णय लिया गया है और इस नीति में कोई त्रुटि अथवा कमी नहीं है।
यह आदेश जस्टिस अश्वनी कुमार मिश्रा एवं जस्टिस आशुतोष श्रीवास्तव की खंडपीठ ने याची कुलभूषण मिश्रा व अन्य की याचिका पर पारित किया है। याचिका दाखिल कर 2 जून 2023 को जारी शासनादेश के क्लाज 1 व 15 को चुनौती देने के साथ-साथ 6 जून 2023 को जारी सर्कुलर को भी चुनौती देते हुए इसे रद्द करने की कोर्ट से मांग की गई थी। याची टीचरों का कहना था कि ट्रांसफर पॉलिसी में 5 वर्ष की सेवा की अनिवार्यता को रद्द किया जाए तथा उनका तबादला यूपी बेसिक शिक्षा टीचर सेवा नियमावली 1981 के नियम 21 के अनुरूप बनाए गए प्रावधानों के तहत किया जाए।
बेसिक एजुकेशन बोर्ड की तरफ से अधिवक्ता अर्चना सिंह ने याचिका का विरोध करते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट के एस के नौशाद रहमान केस में दिए गए फैसले के अनुसार कोई भी टीचर तबादले की मांग अधिकार स्वरूप नहीं कर सकता। कहा गया कि टीचरों के लिए जारी 2 जून 2023 की तबादला पालिसी में कोई गड़बड़ी अथवा खामी नहीं है। बोर्ड की तरफ से कोर्ट को यह आश्वासन दिया गया कि अंतर्जनपदीय तबादला के लिए शीघ्र ही ऑनलाइन अर्जी स्वीकार की जाएगी और सहायक अध्यापकों के दावों पर विचार किया जाएगा।
बोर्ड के आश्वासन के बाद हाईकोर्ट ने कहा कि बोर्ड ऑनलाइन पोर्टल टीचरों के आपसी तबादलों के लिए शीघ्रातिशीघ्र छह सप्ताह में शुरू करें तथा उपयुक्त पाए गए टीचरों के अर्जियों पर कानून के मुताबिक विचार किया जाय।
मालूम हो कि टीचरों ने याचिका दाखिल कर उक्त शासनादेश के उस प्रावधान को चुनौती देते हुए रद्द करने की मांग की थी, जिसमें यह शर्त है कि सामान्य स्थिति में पुरुष शिक्षकों के लिए 5 वर्ष तथा महिला टीचरों के लिए 2 वर्ष सेवा के बाद तबादला अर्जी पर विचार होगा। याचिका के अनुसार याची की नियुक्ति 10 मार्च 2019 को जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी कौशाम्बी के द्वारा की गई थी तथा उसकी तैनाती कौशाम्बी के ब्लॉक नेवादा में है। जबकि याची संख्या 2 की नियुक्ति बतौर टीचर ब्लॉक धनूपुर प्रयागराज में की गई है।