दिल्ली के तीन मूर्ति भवन परिसर स्थित नेहरू मेमोरियल म्यूजियम एन्ड लाइब्रेरी का नाम बदल कर प्रधानमंत्री संग्रहालय और पुस्तकालय सोसाइटी कर देने से कांग्रेस समेत कई दलों ने आपत्ति जताई है।
विपक्ष के कुछ नेताओं ने केंद्र की सरकार पर विरासत ख़तम करने का आरोप लगाया है, लेकिन परिवहन एवं सड़क राज मार्ग के राज्य मंत्री डॉ वी के सिंह ने उनके आरोपों का बड़ा ही सटीक जवाब दिया है। केंद्रीय मंत्री ने कहा है कि जवाहर लाल नेहरू देश के प्रधान मंत्री थे, लेकिन वो जिस आवास में रहते थे, उस आवास में कभी अंग्रेजों के शासन काल में कमांडर इन चीफ रहा करते थे। चूँकि उस समय दो ही पद बड़े होते थे।
पहला वायसराय का और दूसरा कमांडर इन चीफ का। वायसराय उस समय,आज के राष्ट्रपति भवन में रहा करते थे, जबकि जिस त्रिमर्ति भवन को नेहरू का आवास बताया जा रहा है, उसमें कमांडर इन चीफ रहा करते थे। आजादी के बाद देश के पहले कमांडर इन चीफ के एम करियप्पा को वह आवास दिया गया। लेकिन जनरल करियापा ने यह कहकर उस आवास में रहने के लिए मना कर दिया था कि वह आवास काफी बड़ा है। लिहाजा वह आवास प्रधानमंत्री के लिए ठीक रहेगा।
इस तरह तीन मूर्ति आवास में नेहरू रहने लगे थे। श्री सिंह ने तीन मूर्ति को लेकर कहा कि वहां तीन मूर्तियां हैं, इसलिए उसे तीन मूर्ति कहा जाता है। इन मूर्तियों को लेकर श्री सिंह ने कहा कि हाइफा के युद्ध में भारतीय कैवलरी ने जोरदार लड़ाई लड़ी थी। सेना ने हाइफा से तुर्की और जर्मनी की सेना को मार भगाया था। उस युद्ध में शामिल तीन ब्रिगेडों के तीन बहादुर स्क्वाड्रन की वहां मूर्तियां लगाई गईं। उसी की वजह से उसका नाम तीन मूर्ति पड़ गया।
केंद्रीय मंत्री ने कांग्रेसियों पर अज्ञानता का भी आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि उन्हें हकीकत का पता ही नहीं है, इसीलिए ऐसे ब्यान दे रहे हैं। रही बात नाम बदलने की तो उसका नाम अब प्रधानमंत्री संग्रहालय और पुस्तक सोसाइटी कर दिया गया है, जिसमें सभी प्रधानमंत्रियों की यादों, उनसे जुड़ीं एक-एक चीजों को समेट कर रखा गया है। जिसमें पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू का भी संग्रहालय है।