अदालत ने कानून एवं न्याय मंत्री और भाजपा नेता कपिल मिश्रा के खिलाफ जन प्रतिनिधित्व अधिनियम (आरपीए) के तहत दर्ज मामले में अपर्याप्त जांच के लिए दिल्ली पुलिस की खिंचाई की है। मिश्रा ने 2020 में “दिल्ली में छोटे-छोटे पाकिस्तान बने” और “शाहीन बाग में पाकिस्तान की एंट्री” जैसे बयान दिए थे। जिसके बाद उनपर आरपीए की धारा 125 (चुनाव के सिलसिले में वर्गों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना) के तहत शिकायत दर्ज कराई गई थी। यह मामला मिश्रा द्वारा सोशल मीडिया पर पोस्ट किए गए एक पोस्ट से भी जुड़ा है, जिसमें उन्होंने कहा था कि 2020 में चुनाव के दिन यानी 8 फरवरी को दिल्ली की सड़कों पर भारत बनाम पाकिस्तान मुकाबला होगा। अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट वैभव चौरसिया ने 26 मई को अपने आदेश में कहा कि जांच एजेंसी की ओर से आगे की जांच के निर्देशों का पालन करने के लिए कोई भी मौजूद नहीं है और इस न्यायालय के निर्देशों के संबंध में जांच एजेंसी के लापरवाह रवैये पर कोई सख्त टिप्पणी किए जाने से पहले, यह न्यायालय मामले की स्थिति और जांच एजेंसी की ओर से अपर्याप्त स्पष्टीकरण न दिए जाने के संबंध में इसे दिल्ली पुलिस के योग्य पुलिस आयुक्त के संज्ञान में लाने के लिए बाध्य है।
एसीजेएम चौरसिया ने कहा कि बिना किसी चूक के, इस न्यायालय द्वारा 20.03.2024, 20.04.2024, 10.05.2024, 15.05.2024, 01.06.2024, 01.07.2024, 11.07.2024, 22.07.2024, 20.03.2025, 08.04.2025 के आदेश-पत्रों के माध्यम से अभियुक्तों के ट्विटर हैंडल के संबंध में साक्ष्य एकत्र करने का भरसक प्रयास किया गया, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि दिल्ली पुलिस ने एक उदासीन दृष्टिकोण दिखाया है। मिश्रा की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता पवन नारंग ने कहा कि कांग्रेस और आप यह प्रचार करते हैं कि वे स्वभाव से धर्मनिरपेक्ष हैं। मेरी पार्टी की भी धर्मनिरपेक्ष साख है। मैं यह दिखाने की कोशिश कर रहा हूं कि धर्मनिरपेक्ष चरित्र की आड़ में ये पार्टियां धर्म-विशेष के एजेंडे को बढ़ावा देने की कोशिश कर रही हैं। मुझे इसे जनता के सामने रखने का अधिकार है। अभियोजन पक्ष के पास कोई कानूनी रूप से स्वीकार्य दस्तावेज या सबूत नहीं है।