उत्तर प्रदेश के झांसी में हुए अग्निकांड में चल रही जांच पूरी हो गई है। आज यानी शुक्रवार को रिपोर्ट शासन को सौंपी जाएगी। हादसे के बाद कमिश्नर और डीआईजी की अध्यक्षता में एक जांच कमेटी का गठन किया गया था, जिसके संबंध में मुख्यमंत्री द्वारा रिपोर्ट मांगी गई थी। जांच टीम को जांच के दौरान कई तरह की खामियां मिली। आज जांच रिपोर्ट सौंपी जाएगी। जिसके बाद अस्पताल प्रशासन समेत कई कर्मियों पर गाज गिर सकती है।
बता दें कि एनआईसीयू वार्ड में आग लगते ही मौके पर अफरा तफरी मच गई और वहां मौजूद स्टाफ तथा लोग जिन भी बच्चों को लेकर निकल सके उन्हें लेकर निकले। दुर्घटना की जानकारी मिलते ही अस्पताल प्रशासन, बचाव टीम और दमकल विभाग की गाड़ियां मौके पर पहुंची। हालात इतने भीषण थे कि खिडकियों की जालियां तोड़कर शिशुओं को बाहर निकाला गया। मंडलायुक्त बिमल कुमार दुबे ने बताया था कि जिस वार्ड में आग लगी थी और वहां 55 नवजात भर्ती थे। 45 नवजात को सुरक्षित निकाल लिया गया। इस हादसे में 12 बच्चों की मौत हो गई। हादसे के बाद कमिश्नर और डीआईजी की अध्यक्षता में एक जांच कमेटी का गठन किया गया था, जिसके संबंध में मुख्यमंत्री द्वारा रिपोर्ट मांगी गई।
इस चार सदस्यीय कमेटी ने इस मामले में पूरी जांच पड़ताल की। चिकित्सा शिक्षा एवं प्रशिक्षण महानिदेशक किंजल सिंह की अगुवाई में टीम मौके पर दो दिन पड़ताल के बाद लौट आई है और रिपोर्ट तैयार कर ली है। शुक्रवार को यह रिपोर्ट शासन को सौंपने की उम्मीद है। जानकारी के मुताबिक, जांच कमेटी को कई गंभीर खामियां मिली हैं। वार्ड में अलग से एक्सटेंशन तार के जरिये उपकरण लगाने, तारों की गुणवत्ता खराब होने, सेफ्टी रिपोर्ट देने के बाद तत्काल सुधार के प्रयास न करने जैसी लापरवाही सामने आई है। ऐसे में कॉलेज के कार्यवाहक प्रधानाचार्य, चिकित्सा अधीक्षक, बाल रोग विभागाध्यक्ष सहित व्यवस्था निगरानी से जुड़े अफसरों व चिकित्सकों के खिलाफ कार्रवाई होना तय है। टीम ने करीब 35 मिनट तक जले हुए एसएनसीयू की जांच की। 40 मिनट वार्ड पांच में भर्ती नवजातों के परिजन से बात की। करीब साढ़े पांच घंटे तक छह मृत शिशुओं के परिजन समेत 20 डॉक्टर, नर्सिंग स्टाफ के बयान दर्ज किए गए। टीम ने पहले अग्निकांड के दौरान तैनात नौ कर्मियों सहित कुल 20 डॉक्टर और नर्सिंग स्टाफ से पूछताछ की। इसके बाद मृत बच्चों के परिजनों से भी हादसे के बारे में जानकारी ली।