BJP के वरिष्ठ नेता जयराम ठाकुर ने हिमाचल प्रदेश के बजट को लेकर कहा कि बजट लोगों को गुमराह करने का प्रयास है।
हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने हाल ही में 58 हजार 444 करोड़ रुपये का बजट पेश किया। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने इस बजट को आत्मनिर्भर हिमाचल बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम बताया है। लेकिन इस बजट को लेकर अब सियासत शुरु हो गई है। दरअसल नेता प्रतिपक्ष एवं पूर्व सीएम जयराम ठाकुर ने कांग्रेस सरकार के इस बजट को सिरे से खारिज किया है। उन्होंने कहा कि बजट में फिर से झूठ बोलने और लोगों को गुमराह करने का प्रयास किया है।
बीजेपी के वरिष्ट नेता जयराम ठाकुर ने कहा कि हिमाचल प्रदेश के CM सुखविंदर सिंह सुक्खू द्वारा पेश किया गया बजट ‘लोगों को गुमराह करने का’ प्रयास है। जब सराकर को पुराना बजट ही पढ़ना था तो इस बजट सत्र की आवश्यकता ही क्या थी। यह दुखद है कि मुख्यमंत्री झूठ बोलने की परिपाटी को सरकार में भी जारी रखना चाहते हैं।
बजट में उम्मीद थी कि सरकार अपनी गारंटियों पर भी विचार करेगी। पूर्व बजट में घोषित नौकरियों की बात करेगी लेकिन इनका ज़िक्र तक नहीं आया। 22 लाख 40 हज़ार से ज़्यादा महिलाएं आज तक अपनी 1500 रुपए का हक माँग रही हैं।
इस बजट में आम आदमी की उम्मीदों को तो छोड़ दीजिए सरकार में मंत्री रहे बड़े-बड़े नेताओं की मांगों और सुझावों को भी अनदेखा किया गया। आज हिमाचल में चाहे लोगों के पीठ का बोझ उतारना हो य पर्यटकों को प्रदेश में लाना, इसके लिए सड़कों की आवश्यकता होती है।
इस बजट में सड़कों के निर्माण और रख रखाव का भी ध्यान नहीं रखा गया। क्या इसी तरह के बजट से हिमाचल को सशक्त बनाया जा सकता हैं? इस बजट में न दिशा है और न ही दूरदर्शिता। सरकार ने दस विजन की बात की है लेकिन उसके लिए बजट और प्लान का ज़िक्र तक नहीं है। सरकार को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि बजट सरकार की साख होती है ज़ुबानी जमाखर्च नहीं।
जयराम ठाकुर ने कहा कि इस समय प्रदेश में विकास के जो भी कार्य चल रहे हैं, वह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा चलाई जा रही योजनाओं के कारण ही है। अगर कांग्रेस सरकार के भरोसे ही प्रदेश होता तो आज विकास की उल्टी राह पर चल रहा होता। इसके बाद भी सरकार केंद्र सरकार के लिए धन्यवाद का एक शब्द नहीं कहती है।
इस सरकार के आने के बाद से ठेकेदारों के बिलों का भुगतान तक नहीं किया गया। लोन की किश्ते न चुकाने के कारण कई ठेकेदारों की मशीनें तक नीलाम हो गई। सरकार में बैठे लोग कहते हैं कि कांग्रेस में आ जाओ और कमीशन दे पेमेंट निकलवा दूंगा। आज तक प्रदेश में इस तरह के काम नहीं हुए थे। क्या कमीशन दो और पेमेंट लो ही व्यवस्था परिवर्तन है।
बजट की बात करें तो विकास के मुख्य निर्माण कार्य, निवेश एवं सहायता अनुदान (कैपिटल एसेट) के मदों के अन्तर्गत खर्च वित्तीय वर्ष 2022-23 के 5310 करोड़ से घटाकर 2023-24 में 4726 करोड़ कर दिया। इसी प्रकार निवेश में ख़र्च 423 से कम करके 228 करोड़ कर दिया। ग्रांट इन ऐड फॉर कैपिटल एसेट्स अन्तर्गत होने वाले व्यय 1376 करोड़ से कम करके 779 करोड़ ही रह गया है।
इसी प्रकार मैटेरियल सप्लाई में होने वाले खर्च को 466 करोड़ से कम करके 428 करोड़ और मशीनरी और इक्विपमेंट में मद में होने वाले 216 करोड़ के बजट को मात्र 90 करोड़ ही रह गये हैं। सुक्खू सरकार ने 2023-24 में 5506 करोड़ और वित्तीय वर्ष 2024-25 में 5507 करोड़ रुपए ही लोन रीपेमेंट के लिए रखे गये हैं। हमने 10640 करोड़ रुपए का बजट लोन रीपेमेंट लिए राख गया है।
एक्साइज पॉलिसी के नाम पर भी बोला झूठ
जयराम ठाकुर ने कहा कि सरकार नई शराब पॉलिसी लाई और 40 परसेंट के लाभ की बात की गई थी। अब तो आंकड़े भी आ गये हैं। सरकार के आँकड़ों से यह साफ हो गया है कि सरकार ने झूठ बोला और एक्साइज को लाभ के बजाय नुकसान पहुंचाया। इस सरकार ने इस पॉलिसी के जरिए कुछ ठेकेदारों को ही लाभ पहुंचाया है। इस वित्तीय वर्ष में ठेकेदारों द्वारा शराब की लिफ़्टिंग भी घटी है। सरकार किसी भी विभाग को सुचारू रूप से चलाने में नाकाम है।
नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि यह बजट दिशा और विज़न विहीन बजट है। बजट भाषण में मुख्यमंत्री समृद्ध और विकसित हिमाचल की बात कर रहे हैं जबकि कैपिटल एक्सपेंडिचर के नाम पर बजट बढ़ाने के बजाय बजट घटा रही है
सरकार जब इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास पर पैसा लगाएगी ही नहीं तो प्रदेश विकास की राह पर कैसे आगे बढ़ेगा। जयराम ठाकुर ने कहा कि यह बजट में विपक्ष के नाते के नाते दिशा और दृष्टि (विजन) हीन नहीं बता रहा हूं बल्कि सरकार की कारगुज़ारियों और आँकड़ों के आधार पर कह रहा हूँ।
हमारी सरकार यानि वित्तीय वर्ष 2023-24 में कैपिटल एक्सपेंडिचर 6780 करोड़ था। जिसे घटाकर वित्तीय वर्ष 2024-25 में कैपिटल एक्सपेंडिचर 6280 करोड़ कर दिया गया है। इस तरह से इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास के बजट में कटौती सरकार की मंशा और समझ पर सवाल खड़े करती है।
जयराम ठाकुर ने कहा कि सरकार ने आर्थिक सर्वेक्षण की फर्जी रिपोर्ट दी है। जिस तरह से प्रदेश में आपदा आई। कृषि और बागवानी जैसे निकाय भारी आर्थिक नुकसान से गुजरे। उद्योगों का प्रदर्शन अपेक्षा के अनुरूप नहीं रहा। ऐसे में प्रदेश की आर्थिक वृद्धि जो सरकार द्वारा बताई गई है, वह समझ के परे है। इसी तरह से प्रति व्यक्ति आय से लेकर प्रदेश के सकल घरेलू उत्पाद के आँकडें भी गले से नहीं उतर रहे हैं।
हम पर वित्तीय कुप्रबंधन का आरोप लगाने वाले कांग्रेस के बजट पर एक बार नज़र डालने की आवश्यकता है। हमारी सरकार में वर्ष 2022-23 में हमारी सरकार ने लोन रीपेमेंट के लिए 10136 करोड़ रुपए की धनराशि रखी गई थी। कांग्रेस सरकार ने आते ही लोन लेने की स्पीड तो टॉप गियर में चलाई लेकिन लोन रीपेमेंट की दर आधी कर दी है।
सुक्खू सरकार ने 2023-24 में 5486 करोड़ और वित्तीय वर्ष 2024-25 में 5497 करोड़ रुपए ही लोन रीपेमेंट के लिए रखे गये हैं। सरकारें लोन लेती है विकास के लिए लेकिन लोन चुका भी देते हैं लेकिन यह सरकार सिर्फ लोन लेने में विश्वास रखती और दूसरे लोगों पर आरोप लगाने यकीन रखती हैं।
जयराम ठाकुर ने कहा कि सुक्खू सरकार पिछले वर्ष के बजट में की गई घोषणाओं को सरकार पूरा नहीं कर पाई। इस बार के बजट में भी पिछले बजट में की गई ज़्यादातर घोषणाओं को ही दोहराया गया है। सबसे हैरत की बात यह है कि जिन गारंटियों पर कांग्रेस सत्ता में आई इस बजट में उन गारंटियों का ज़िक्र तक नहीं है।
दूसरे बजट में भी सरकार ने प्रदेश के युवाओं से लेकर महिलाओं, किसानों से लेकर बागवानों तक को निराश किया है। हिमाचल प्रदेश की जनता कांग्रेस के इस झूठ और गुमराह करने की राजनीति का जवाब देगी। ढाई घंटे के बजट स्पीच को सुनकर लगा कि मुख्यमंत्री अपनी पुरानी बजट स्पीच को ही पढ़ रहे हैं।
नेता प्रतिपक्ष ने मुख्यमंत्री महोदय से आग्रह करते हुए कहा कि वे घोषणाएं करने की बजाय आप घोषणाओं के क्रियान्वयन पर कार्य करने की आवश्यकता है। अपने नाम पर योजनाओं का नाम रखकर मुख्यमंत्री हंसी का पात्र बन रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने जनता का भरोसा टूट चुका है। ये सरकार पूरी तरह से नाकाम हो गई है। आपदा राहत के नाम पर भी झूठ बोल रही है। सरकार से हर वर्ग नाराज़ है, निराश हैं। इस बजट को मैं सिरे से खारिज करता हूँ।