छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में पिछले दो सप्ताह से जारी अभियान के दौरान नक्सलियों द्वारा लगाए गए प्रेशर बम की चपेट में आने से रविवार को विशेष कार्य बल (STF) के दो जवान घायल हो गए। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। अधिकारियों ने सोमवार को बताया कि जिले के कर्रेगुट्टा की पहाड़ियों और छत्तीसगढ़-तेलंगाना सीमा पर स्थित पहाड़ियों में नक्सलियों के खिलाफ 21 अप्रैल को ‘मिशन संकल्प’ नामक अभियान शुरू किया गया, जिसमें लगभग 24 हजार जवान शामिल हैं।
उन्होंने बताया कि अभियान के दौरान रविवार को प्रेशर बम में विस्फोट होने से एसटीएफ के दो जवान मामूली रूप से घायल हो गए।
अधिकारियों ने बताया, ‘‘घायल जवानों का स्थानीय अस्पताल में इलाज किया गया तथा बेहतर चिकित्सा के लिए रायपुर के अस्पताल में भेजा गया है।’’
उन्होंने बताया कि इस अभियान के दौरान बारूदी सुरंग में विस्फोट होने से अब तक केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के एक जवान समेत कुल छह जवान घायल हुए हैं।
अधिकारियों ने बताया कि बस्तर क्षेत्र में शुरू किए गए सबसे बड़े नक्सल विरोधी अभियानों में से एक इस अभियान में जिला रिजर्व गार्ड, बस्तर फाइटर्स और छत्तीसगढ़ पुलिस के एसटीएफ, सीआरपीएफ और कमांडो बटालियन फॉर रेसोल्यूट एक्शन (कोबरा) के जवान समेत विभिन्न इकाइयों के जवान शामिल हैं।
उन्होंने बताया कि यह अभियान अंतरराज्यीय सीमा पर बीजापुर (छत्तीसगढ़) और मुलुगु तथा भद्राद्री-कोठागुडेम (तेलंगाना) के दोनों ओर लगभग आठ सौ वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैले दुर्गम इलाके और घने जंगल में जारी है। यह स्थान राजधानी रायपुर से 450 किलोमीटर दूर है।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, ‘‘अभियान अपने चरम पर पहुंच गया है और अब तक लगभग 75 प्रतिशत क्षेत्र की घेराबंदी और बारूदी सुरंगें हटा दी गई हैं। अभियान का अंतिम चरण इस सप्ताह के अंत तक समाप्त होने की संभावना है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘नक्सल विरोधी अभियान का नतीजा केवल मारे गए नक्सलियों की संख्या या बरामद हथियारों की संख्या से ही तय नहीं होता। प्रतिबंधित माओवादी संगठन के कब्जे से इलाके को मुक्त कराना और स्थानीय आबादी के लिए फिर से जमीन को सुरक्षित बनाना भी अभियान का एक महत्वपूर्ण उद्देश्य है।’’
अधिकारियों ने बताया कि 24 अप्रैल को कर्रेगुट्टा पहाड़ियों पर तीन महिला नक्सलियों को मार गिराया गया और अभियान के दौरान हथियार, विस्फोटक और अन्य सामान का जखीरा बरामद किया गया।
उन्होंने बताया कि जिस इलाके में अभियान जारी है वह पहाड़ियों के अलावा घने जंगलों से घिरा हुआ है तथा इसे माओवादियों की पीएलजीए (पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी) बटालियन नंबर एक का सुरक्षित ठिकाना माना जाता है। बटालियन नंबर एक माओवादियों का सबसे मजबूत हथियारबंद गठन है।
अधिकारियों ने बताया कि जानकारी मिली है कि माओवादियों की पीएलजीए बटालियन नंबर एक, तेलंगाना राज्य समिति और दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी (डीकेएसजेडसी) के पांच सौ से अधिक नक्सली अपने नेताओं के साथ इलाके में बैठक के लिए एकत्र हुए थे तथा छिपे हुए थे। इनमें केंद्रीय समिति के सदस्य चंद्रना, रामचंद्र रेड्डी, सुजाता, हिडमा और पीएलजीए बटालियन कमांडर बरसे देवा शामिल है।