समाजवादी पार्टी (सपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक के बयान पर पलटवार करते हुए कहा कि पाठक भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सरकार में अपने समुदाय का प्रतिनिधित्व करने में विफल रहने के साथ-साथ चाटुकारिता और निरर्थक बातें कर रहे हैं। पाठक ने दावा किया था कि सपा का जन्म मुस्लिम तुष्टिकरण के ‘डीएनए’ के साथ हुआ है और अखिलेश यादव की पूरी राजनीति का मूल यही है।
‘खाली बैठे लोग बात आगे बढ़ाते हैं…’
अखिलेश यादव ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, “हुक्मरानों की बदजुबानी पर भी आजादी और किसी की सच कहने पर गिरफ्तारी!” यादव ने पाठक पर निशाना साधते हुए उन पर भाजपा शासन में अपने समुदाय का प्रतिनिधित्व करने में विफल रहने के साथ-साथ चाटुकारिता और निरर्थक बातें करने का आरोप लगाया। पूर्व मुख्यमंत्री ने पाठक के संदर्भ में कहा, “खाली बैठे लोग बात आगे बढ़ाते हैं-‘काम करने वाले’ आगे बढ़ जाते हैं।” उन्होंने कहा, “चलो हम सब पीडीए (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) मिलकर सकारात्मक राजनीति के मार्ग पर आगे बढ़कर संकल्प लें कि अपनी पीडीए सरकार बनाएंगे, सामाजिक न्याय का राज लाएंगे।”
‘जो लोग अपने दलों में पूछे नहीं जाते…’
अखिलेश ने तंज कसते हुए कहा, “जो लोग अपने दलों में पूछे नहीं जाते, अपने मंत्रालय को नाकामी का तमगा पहनाते हैं, निरर्थक बातों में, चाटुकारिता में अपना दिन और समय बिताते हैं, उनसे पुनः आग्रह है कि कुछ सार्थक भूमिका निभाइए।” उन्होंने कहा, “ जिस समाज का आप सामाजिक प्रतिनिधित्व करते हैं, भाजपा सरकार के राज में उस समाज पर कितना अत्याचार और अन्याय हो रहा है, उस पर अगर बोलकर कुछ कहने का साहस नहीं है तो कम से कम इशारे से ही कुछ कह दीजिए।”
अखिलेश ने दी सलाह
सपा प्रमुख ने सलाह दी, “परिपक्व बनिए, सौम्य, शिष्टाचारी और मृदु भाषी भी। उन पर विश्वास मत कीजिए जो अपनों के सगे नहीं हैं, और वैसे भी आप तो मूल रूप से उनके हैं भी नहीं, बाहर से आकर, भाजपाइयों जैसा बोलकर, भाजपाइयों जैसा बनकर यहां घुलने-मिलने की कोशिश कर रहे हैं।” ब्रजेश पाठक वर्ष 2016 में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) को छोड़कर भाजपा में शामिल हुए थे जबकि उसके पहले वह कांग्रेस में सक्रिय थे। यादव ने उम्मीद जताई, “आशा है आप अपने दल में ‘राजनीतिक स्वास्थ्य’ को सुधारने का काम करेंगे। अगर कभी संकट में हों तो हम आपके साथ खड़े रहेंगे। हम जानते हैं वो समय दूर भी नहीं है क्योंकि न तो आप, न ही आपका समाज आज के सत्ताधीश को ‘भाता है या लुभाता है’।” उन्होंने कहा, “आपका (पाठक का) समाज उनकी निगाह में दोयम क्या, कभी तियम भी न था और न होगा। आप तो अपनी चहारदीवारी बचाइए और नैतिक बुनियाद भी, वो बचेगी तो आप भी बचे रहेंगे।” यादव ने कहा “इस कड़ी का अंतिम पत्र क्योंकि हमें तो जनहित के लिए काम पर निकलना है।”