केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने अपने दो दिवसीय कश्मीर दौरे पर कई प्रतिनिधिमंडलों से मुलाकात की और उनसे वंशवादी दलों को वोट न देने की अपील की।

केंद्रीय गृह मंत्री ने पहाड़ी समुदाय, सिख समुदाय और गुज्जर/बकरवाल समुदायों के प्रतिनिधिमंडलों से मुलाकात की। इसके अलावा उन्होंने पार्टी के स्थानीय नेताओं से साथ पार्टी के मुद्दों पर भी बात की।

मुलाकात के बाद पहाड़ी समुदाय के नेताओं ने संवाददाताओं को बताया कि उन्होंने समुदाय को अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने के लिए गृह मंत्री को धन्यवाद दिया क्योंकि इसके लिए वे दशकों से संघर्ष कर रहे थे।

उन्होंने कहा, “हमने घाटी में भाजपा के अपना उम्मीदवार खड़ा नहीं करने के लिए नाराजगी जताई। हमने उन्हें आश्वस्त किया कि समुदाय उनके फैसले को स्वीकार करेगा।”

सिख प्रतिनिधिमंडल ने गृह मंत्री को बताया कि बारामूला, केरन और उरी में रहने वाले समुदाय के लोग पहाड़ी हैं, लेकिन उन्हें पहाड़ियों के दिये गये एसटी के दर्जे से बाहर रखा गया है। उन्होंने जिस भाषा में उनका पवित्र ग्रंथ लिखा गया है उसका अस्तित्व बचाये रखने के लिए विश्वविद्यालयों में इसे शामिल करने की मांग की।

बकरवाल प्रतिनिधिमंडल के नेताओं ने बताया कि गृह मंत्री ने उनसे नेशनल कॉन्फ्रेंस, पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) और कांग्रेस जैसी वंशवादी परिवारों की पार्टियों के अलावा किसी को भी वोट देने की अपील की।

एक भाजपा नेता के अनुसार, पार्टी नेताओं के साथ जम्मू-कश्मीर की राजनीतिक स्थिति पर चर्चा के दौरान अमित शाह ने कहा कि भाजपा जमीनी स्तर पर पूरे देश में मजबूत हुई है, लेकिन उसने घाटी में लोकसभा चुनाव न लड़ने का फैसला किया है। उन्होंने कहा कि कभी-कभी लड़ाई “दुश्मन को हराने के लिए नहीं, पार्टी कैडर को परखने और मजबूत करने की भी होती है।”

केंद्रीय मंत्री ने पार्टी नेताओं से यह सुनिश्चित करने के लिए कहा कि भाजपा का हर कार्यकर्ता मतदान करे और समान विचारधारी वाली पार्टी को वोट दे ताकि वंशवादी दलों को हराया जा सके। उनसे मिलने वाले स्थानीय नेताओं में तरुण चुग, रविंद्र रैना, सुनिल दरक्षण अंद्राबी, हिना भट और अल्ताफ ठाकुर भी शामिल थे।

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