कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने शनिवार को आरोप लगाया कि केंद्र सरकार ने सशस्त्र बलों के लिए विकलांगता पेंशन के नियमों में जो बदलाव किया है, वह देश के सैनिकों के साथ विश्वासघात है।

खरगे ने सरकार से आग्रह किया कि पूर्व सैनिकों की शिकायतों के निवारण के मकसद से एक ‘पूर्व सैनिक आयोग’ का गठन किया जाए।

खरगे ने विकलांगता पेंशन नियमों में बदलाव की खबर का जिक्र करते हुए सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘हमारे बहादुर सशस्त्र बलों के लिए नये विकलांगता पेंशन नियमों को लेकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का फर्जी राष्ट्रवाद एक बार फिर दिखाई दे रहा है!’

उन्होंने आरोप लगाया, ‘लगभग 40 प्रतिशत अधिकारी विकलांगता पेंशन के साथ सेवानिवृत्त होते हैं और वर्तमान नीति परिवर्तन पिछले कई अदालती निर्णयों, नियमों और स्वीकार्य वैश्विक मानदंडों का उल्लंघन होगा।’

खरगे ने कहा कि ‘ऑल इंडिया एक्स-सर्विसमेन वेलफेयर एसोसिएशन’ ने मोदी सरकार की इस नयी नीति का कड़ा विरोध किया है, जो असैन्य कर्मचारियों की तुलना में सैनिकों को नुकसान पहुंचाती है।

उन्होंने दावा किया, ‘जून 2019 में मोदी सरकार इसी तरह के विश्वासघात के साथ सामने आई थी, जब उसने घोषणा की थी कि वह विकलांगता पेंशन पर कर लगाएगी! मोदी सरकार हमारे जवानों, पूर्व सैनिकों और दिग्गजों के कल्याण के खिलाफ काम करने की आदतन अपराधी है।’

कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि ‘अग्निपथ योजना’ इस बात की स्पष्ट स्वीकारोक्ति है कि मोदी सरकार के पास हमारे सैनिकों के लिए धन नहीं है।

उन्होंने दावा किया, ‘वन रैंक, वन पेंशन-2 (ओआरओपी-2) में बड़े पैमाने पर विसंगतियां हैं। शॉर्ट सर्विस कमीशन के तहत बहादुरी से देश की सेवा करने वाले हमारे जवानों से चिकित्सा लाभ/पेंशन छीन लिया गया। आयुध कारखाना बोर्ड का निजीकरण किया गया।’

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