बहुजन समाज पार्टी (BSP) की अध्यक्ष मायावती ने आरक्षण खत्म करने को लेकर टिप्पणी करने वाले कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर हमला करते हुए मंगलवार को कहा कि गांधी के इस बयान से स्पष्ट है कि उनकी पार्टी वर्षों से अनुसूचित जातियों (SC), अनुसूचित जनजातियों (ST) और अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) का आरक्षण खत्म करने के षड्यंत्र में लगी है। लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने अमेरिका के जॉर्जटाउन विश्वविद्यालय में छात्रों से संवाद कार्यक्रम में भारत में आरक्षण कब तक जारी रहेगा, इस सवाल पर कहा कि कांग्रेस पार्टी आरक्षण खत्म करने के बारे में तब सोचेगी, जब भारत में आरक्षण के लिहाज से निष्पक्षता होगी लेकिन अभी ऐसा नहीं है। मायावती ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर सिलसिलेवार टिप्पणियां करते हुए राहुल के इस बयान की तीखी आलोचना की।

मायावती ने कहा, ‘‘केन्द्र में काफी लंबे समय तक सत्ता में रहते हुए कांग्रेस पार्टी नीत सरकार ने ओबीसी आरक्षण को लागू नहीं किया और ना ही देश में जातीय जनगणना करायी। अब यह पार्टी इसकी (जातिवार जनगणना) आड़ में सत्ता में आने के सपने देख रही है। इनके इस नाटक से सचेत रहें जो भविष्य में कभी जातीय जनगणना नहीं करा पाएगी।”

मायावती ने कहा, ‘‘अब कांग्रेस पार्टी के सर्वेसर्वा राहुल गांधी के इस नाटक से भी सतर्क रहें, जिसमें उन्होंने विदेश में यह कहा है कि भारत जब बेहतर स्थिति में होगा तो हम एससी, एसटी, ओबीसी का आरक्षण खत्म कर देंगे। इससे स्पष्ट है कि कांग्रेस वर्षों से इनके आरक्षण को खत्म करने के षड्यंत्र में लगी है।” उन्होंने कहा, ‘‘इन वर्गों के लोग कांग्रेस नेता राहुल गांधी के दिए गए इस घातक बयान से सावधान रहें, क्योंकि यह पार्टी केंद्र की सत्ता में आते ही, अपने इस बयान की आड़ में इनका आरक्षण जरूर खत्म कर देगी। ये लोग संविधान व आरक्षण बचाने का नाटक करने वाली इस पार्टी से जरूर सजग रहें।”

लोकसभा में कांग्रेस और विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने अमेरिका के प्रतिष्ठित जॉर्जटाउन विश्वविद्यालय में छात्रों को संबोधित करते हुए भारत में आरक्षण कब तक जारी रहेगा, इस सवाल पर कहा, ‘‘जब भारत में (आरक्षण के लिहाज से) निष्पक्षता होगी, तब हम आरक्षण खत्म करने के बारे में सोचेंगे। अभी भारत इसके लिए एक निष्पक्ष जगह नहीं है।” राहुल गांधी ने कहा, ‘‘जब आप वित्तीय आंकड़ों को देखते हैं, तो आदिवासियों को 100 रुपये में से 10 पैसे मिलते हैं। दलितों को 100 रुपये में से पांच रुपये मिलते हैं और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लोगों को भी लगभग इतने ही पैसे मिलते हैं। सचाई यह है कि उन्हें उचित भागीदारी नहीं मिल रही है।”

 

 

 

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