भाकपा (माले) की राज्य इकाई ने कहा है कि दो हजार रुपये मूल्यवर्ग की ताजा नोटबंदी मोदी सरकार के माध्यम से लोकसभा चुनाव से पहले कर्नाटक में भाजपा की हुई करारी हार पर पर्दा डालने के लिए की गई है। 2016 की सनसनीखेज नोटबंदी के बाद फिर से नोटबंदी लागू करने के निर्णय का मकसद राजनीतिक लाभ लेने के अलावा और कुछ नहीं हो सकता।
राज्य सचिव सुधाकर यादव ने जारी एक बयान में कहा कि काले धन पर अंकुश लगाने समेत जिन घोषित उद्देश्यों के लिए 2016 की नोटबंदी लाई गई थी, उनमें वह बुरी तरह फेल हुई थी। अर्थव्यवस्था और आम जनता के लिए तबाही अलग से आई। पहली नोटबंदी पीएम के माध्यम से घोषणा के चार घंटे बाद ही प्रभावी हो गई थी, जबकि इस बार 30 सितंबर तक का समय दिया गया है और बैंकों से दो हजार के एक बार में दस नोट ही बदलने के लिए कहा गया है।
एक बार फिर से यह दिखाने की कोशिश की जा रही है कि दो हजार वाले नोट पर पाबंदी लगाकर मोदी सरकार काले धन पर अंकुश लगाना चाहती है। यह आसन्न लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा की एक और पैंतरेबाजी है। कर्नाटक में अपनी बुरी पराजय और आगामी लोकसभा चुनाव को देखते हुए भाजपा बदहवासी का परिचय दे रही है।

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