श्रीरामजन्मभूमि पर भव्य और दिव्य राम मंदिर बनने के साथ-साथ अवधपुरी के चतुर्दिक विकास के लिए आठ परिकल्पनाओं के आधार पर कार्य हो रहे हैं, जिससे अवधपुरी का विकास तेजी से चमकता दिखाई दे रहा है। वर्ष 2014 में केन्द्र में नरेन्द्र मोदी सरकार और 2017 में उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की सरकार आने के बाद से ही अयोध्या के चौमुखी विकास का कार्य शुरू हुआ। एक के बाद एक लगभग 30.5 हजार करोड़ की 178 परियोजनाओं के जरिए अयोध्या को विश्वस्तरीय नगरी के रूप में विकसित करने का संकल्प अब सिद्ध होने जा रहा है।

इस परिकल्पना के अंतर्गत अवधपुरी का विकास भारत की सांस्कृतिक राजधानी के रूप में किया जाना है। मठ, मंदिरों और आश्रमों को भव्य रूप प्रदान करना हो या वैभवशाली नगर द्वारों का निर्माण, मंदिर संग्रहालय जैसे निर्माण कार्य इसी परिकल्पना के आधार पर किए जा रहे हैं। अयोध्या विभिन्न कुण्डों, तालाबों और प्राचीन सरोवरों के सौंदर्यीकरण या पुराने उद्यानों का कायाकल्प और नए उद्यानों का निर्माण कार्य, या फिर हेरिटेज लाइटों के जरिए शहर को तारों के जंजाल से मुक्ति दिलाकर सुंदर स्वरूप प्रदान करने का कार्य किया जा रहा है। सडक़ों को फसाड लाइटिंग से जगमग करना और इन जैसी तमाम परियोजनाओं के जरिए अवधपुरी को मनमोहक नगरी के रूप में विकसित किया जा रहा है।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर इस परिकल्पना के अंतर्गत अयोध्या को पूरी तरह से आत्मनिर्भर नगरी के रूप में विकसित किया जा रहा है जहां रोजी, रोजगार, पर्यटन एवं धर्म और सांस्कृतिक गतिविधियों के जरिये बड़े पैमाने पर रोजगार का सृजन हो रहा है। आजादी के सत्तर साल बाद अब तक अपनी दुर्दशा पर आंसू बहाने वाली इस पवित्र नगरी को आज हर प्रकार की आधुनिक सुविधाओं वाला नगर बनाया जा रहा है। स्मार्ट सिटी, सेफ सिटी, सोलर सिटी, ग्रीन फील्ड, टाउनशिप जैसी तमाम परियोजनायें इसी प्रकार के विचार स्वरूप आकार ले रही हैं। इसमें रामनगरी और भी ज्यादा निखरेगी। साथ ही साथ रामनगरी अयोध्या में एयरपोर्ट, अयोध्या धाम रेलवे स्टेशन का कायाकल्प, सरयू को इनलैंड वाटर वे से जोड़ने का कार्य अयोध्या तक पहुंच को हर प्रकार से सुगम्य बना रही है। विभिन्न पथों के जरिए भी इस पुण्यदायिनी नगरी तक आस्थावान आसानी से पहुंच सकेंगे। प्रभु श्रीराम की जन्मभूमि और लीलास्थली से पूरी दुनिया के सनातनियों का भावनात्मक जुड़ाव है। ऐसे में अवधपुरी के कण-कण से मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम से जुडने का भाव परिलक्षित होना चाहिए।

 

 

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