प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की देखरेख में 2015 में नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नागालैंड (NSCN-IM) के इसाक-मुइवा गुट के साथ एक महत्वपूर्ण समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे, जो इस क्षेत्र में शांति की दिशा में एक बड़ा कदम था। हालांकि हाल ही में NSCN-IM ने शांति के इस मार्ग से पूरी तरह हटने का संकेत दिया है।

समझौते के बाद पहली बार इस गुट ने खुले तौर पर धमकी दी है कि जब तक इसकी मांगें पूरी नहीं होती है वह भारत के खिलाफ हिंसक सशस्त्र प्रतिरोध फिर से शुरू करेगा। गुट की मांग है कि नागाओं के लिए एक अलग ध्वज और संविधान को मान्यता दी जाए।

NSCN (IM) के महासचिव और प्रमुख राजनीतिक वार्ताकार थुइंगालेंग मुइवा बयान जारी करके यह चेतावनी दी है। उन्होंने कहा कि अगर सरकार ने अलग ‘राष्ट्रीय ध्वज और संविधान’ की मांगें पूरी नहीं कीं तो वह सरकार के साथ 27 साल पुराना युद्ध विराम खत्म कर देगा और सशस्त्र संघर्ष फिर से शुरू कर देगा।

2015 में NSCN (IM) ने सरकार के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किया था, यह समझौता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की देखरेख में हुआ था। इस समझौते का उद्देश्य नगा मुद्दे के स्थायी समाधान की दिशा में एक मार्ग तैयार करना था। NSCN (IM) के महासचिव और मुख्य वार्ताकार थुइंगलेंग मुइवा ने कहा कि उनकी बातचीत का उद्देश्य शांतिपूर्ण तरीकों से संघर्ष को हल करना था। उन्होंने पीवी नरसिम्हा राव, एचडी देवेगौड़ा और अटल बिहारी वाजपेयी सहित पूर्व प्रधानमंत्रियों की प्रतिबद्धता का हवाला दिया।

1 अगस्त, 1997 को राजनीतिक वार्ता की शुरुआत के बाद से, भारत और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बिना किसी पूर्व शर्त के 600 से अधिक दौर की चर्चाएँ हो चुकी हैं, जिसके परिणामस्वरूप 2015 में रूपरेखा समझौता हुआ। हालाँकि, मुइवा ने सरकार पर नागा ‘संप्रभु राष्ट्रीय ध्वज और संप्रभु राष्ट्रीय संविधान’ की माँगों को स्वीकार न करके इस समझौते की भावना के साथ विश्वासघात करने का आरोप लगाया है। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि राजनीतिक सहमति की शर्तें रूपरेखा समझौते की भावना के अनुरूप होनी चाहिए।

By admin

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Verified by MonsterInsights