लोकसभा चुनाव के तीसरे चरण के तहत बिहार की जिन पांच सीटों पर मतदान हो रहा है, उनमें एक अररिया सीट भी शामिल है। इस सीट पर राष्ट्रीय जनत दल (राजद) और भारतीय जनता पार्टी के बीच सीधी टक्कर है। हालांकि, निर्दलीय उम्मीदवार भी भाजपा और राजद दलों की टेंशन बढ़ा रहे हैं।

अररिया लोकसभा सीट से भाजपा ने प्रदीप कुमार सिंह को उम्मीदवार बनाया है तो वहीं आरजेडी की ओर से शाहनवाज आलम चुनावी मैदान में हैं। वहीं आरजेडी से बगावत कर निर्दलीय चुनावी लड़ रहे शत्रुघ्न प्रसाद सुमन मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने को लेकर संघर्ष कर रहे हैं। इसके अलावा अररिया के चुनावी मैदान में बहुजन समाज पार्टी से गौसुल आजम, भारतीय मोमिन फ्रंट से मो.इस्लाम, द नेशनल रोड मैप पार्टी ऑफ इंडिया से जावेद अख्तर, निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में पूर्व डीएसपी और पटना साइंस कॉलेज के प्राध्यापक अखिलेश कुमार, निर्दलीय मुश्ताक आलम और मोबिनुल हक हैं।

बता दें कि अररिया सीमांचल का इलाका है, जो मुस्लिम बहुल है। अररिया लोकसभा के अंतर्गत विधानसभा की कुल 6 सीटें आती हैं…जिनमें अररिया जिले की नरपतगंज, रानीगंज(सुरक्षित), फारबिसगंज, अररिया, जोकिहाट और सिकटी विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं। अररिया सीट के जातीय समीकरण की बात करें तो यहां मुस्लिम-यादव फैक्टर काम करता है। इस सीट पर 44 फीसदी मुस्लिम मतदाताओं की संख्या है। वहीं अररिया में 56 फीसदी हिंदू वोटर हैं, इनमें से 15 फीसदी यादव वोटर हैं। इस तरह मुस्लिम और यादव मिलकर 59 प्रतिशत हो जातें है जो चुनावी नतीजों को अपने हिसाब से दिशा दे सकते हैं। इसलिए अररिया सीट पर माय फैक्टर खास माएने रखता है।

 

 

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