अब नकली डाक्टरों की खैर नहीं है। इधर-उधर गली मोहल्लों से पॉश कालोनियों तक में स्वदेशी हर्बल दवाएं देकर कैंसर, सिरायसिस, टीबी, हार्ट, मिर्गी, मोटापा, आर्थराइटिस, आंखों की रोशनी बिना सर्जरी के तेज करने समेत पार्किसंस, डिमेंशिया, अल्जाइमर जैसे कई असाध्य रोगों का शतप्रतिशत इलाज करने का नकली डाक्टर दावा कर रहे हैं।
वे अब भी पुड़िया में 10 से 20 रुपए से लेकर तो 50 से 100 रुपए में कंसल्टेशन भी करते हैं। इस तरह रोगी को तीन से पांच दिन की दवाएं भी देते हैं। सस्ती दवाओं के असरदार होने का दावा करने के कुचक्र में मरीज फंसता है और पहले से ही परेशान मरीज व उसके रिश्तेदार लंबे वक्त से चल रही सरकारी या निजी अस्पताल के मान्यता प्राप्त डाक्टरों की दवाएं छोड़ देता है। यही बाद में उसकी मृत्यु का भी सबब बन रहा है। ऐसे ही करीब दो दर्जन से ज्यादा मामले आयुष विभाग की नजर में आए हैं।
केंद्रीय आयुष मामलों के स्वास्थ्य सचिव वैद्य राजेश कोटेचा के अनुसार अब असाध्य रोगों का शत प्रतिशत इलाज करने वाली फार्मास्यूटिकल कंपनियों पर पैनी नजर है। मंत्रालय ने भारतीय चिकित्सा पण्राली आयोग (एनसीआईएसएम) को निर्देश दिया है कि वह राज्य चिकित्सा परिषद की मदद से ऐसे नकली डाक्टरों की पहचान करें। एनसीआईएसएम के डा. सिद्धलिंगेश एक कुदारी ने कहा कि डा. हेल्थ के संचालक हिमांशु धवन और उनकी सहयोगी आयुव्रेदिक फर्मो के खिलाफ गंभीर शिकायत पर कार्रवाई की जा रही है। आयुष के रजिस्ट्रार मामले की जांच कर रहे हैं।
आरोप है कि मिलन वर्मा ने नामक मरीज संबंधित फर्म की प्रेषित दवाओं का सेवन किया। जिस वैद्य ने देखा व डाक्टरी परामर्श दिया वह नकली डाक्टर है। इस वजह से उसकी हालत और गंभीर हो गई है। डा. हेल्थ के डाक्टरों ने दावा किया था कि वह स्वस्थ हो जाएगा। सिर्फ उसकी दवाएं खानी होगी। डा. कुदारी ने कहा इस मामले में धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया गया है। इसी तरह अन्य कई शिकायतें भी मिली है। दिल्ली समेत अन्य राज्यों में रेमेडी एक्ट के तहत आरएमसी डाक्टरों की पहचान की जा रही है जो स्वदेशी पद्धतियों के नाम पर मरीजों के जीवन के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। अनुमान है कि दिल्ली में करीब 42 हजार आरएमपी नकली डाक्टर व वैद्य हैं। दिल्ली सरकार के स्टेट काउंसिल के साथ ही भारतीय चिकित्सा पद्धति बोर्ड, दिल्ली नगर निगम के स्वास्थ्य विभाग आयुष की टीम की भी इस सघन जांच अभियान में मदद ले रहे हैं।
राज्य पंजीकरण अधिनियम/ड्रग्स और मैजिक उपचार (अस्वीकार्य विज्ञापन) अधिनियम 1954/नेशनल कमीशन फॉर इंडियन सिस्टम ऑफ मेडिसिन (इथिक्स और पंजीकरण) नियम 2023 के अनुसार शिकायत की जांच का प्रावधान है। किसी भी पद्धति में प्रैक्टिस करने के पहले संबंधित हेल्थ काउंसिल से पंजीकरण कराना जरूरी है। इसके तहत किस मेडिकल आयुव्रेदिक कॉलेज से बीएआईएमएस, बीएचएमएस डिग्री का सत्यापन के बाद पंजीकरण स्टेट कांउसिल करती है इसके बाद ही कोई भी वैद्य, डाक्टर मरीज को चिकित्सीय परामर्श दे सकता है।
मिलन वर्मा नामक मरीज ने डॉ. हेल्थ द्वारा निर्धारित आयुर्वेदिक दवाओं का सेवन किया था और बाद में पता चला कि उनके पास आयुर्वेदिक उपचार प्रदान करने की योग्यता नहीं थी। उनका कारोबार डॉ. हेल्थ के नाम पर चलाया जाता है, जिसमें मुख्य संगठन- श्रीआस एंटरप्राइजेज प्राइवेट लिमिटेड और एसआर इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस्ड आयुर्वेदिक साइंसेज शामिल हैं। उसकी सहयोगी कंपनियों में साई संजीवनी और भारत होम्योपैथी भी शामिल हैं। मरीज जिंदगी से जूझ रहा है।