प्रयागराज। प्रयागराज में उमेश पाल हत्याकांड के बाद जेल में बंद माफिया अतीक अहमद का नेटवर्क सामने आया है। शूटर्स के साथ मुलाकात के लिए बरेली जेल सेफ हाउस की तरह इस्तेमाल हुआ। बड़ी घटना के बाद 2G, 3G जैमर पर अपराधियों का 5G नेटवर्क भारी पड़ता दिख रहा है।
यूपी की चित्रकूट, बरेली, बांदा, देवरिया जेल बदनाम हैं। यहां बंद माफिया की रंगदारी, मर्डर और किडनैपिंग की साजिश सामने आती रही हैं।
डीजी जेल आनंद कुमार ने यूपी की सभी 74 जेलों में CCTV लगवाए हैं। इनमें छह केंद्रीय कारागार हैं। शासन के अधिकारियों का दावा है कि सभी जेलों में मॉनिटरिंग के लिए 3600 कैमरे लगे हैं। इसके बावजूद इसके जेल में बंद माफिया पैसे और अपने रसूख के दम पर जेल कर्मचारियों और अधिकारियों की ही मदद से लगातार सिस्टम को चुनौती दे रहे हैं।
एक तरफ जहां 4 जी के बाद 5 जी नेटवर्क का ट्रायल चल रहा है। वहीं इन जेलों में आज भी 2 जी और 3जी के ही जैमर लगे हुए हैं। यह जैमर 4 जी और 5 जी का नेटवर्क रोकने में पूरी तरह से नाकाम हैं। यूपी के बरेली जेल की घटना ने जेलों के सुरक्षा तंत्र के दावों की कलई खोल दी। प्रयागराज में हुए उमेशपाल हत्याकांड के बरेली की सेंट्रल जेल सुर्खियों में है। इसी जेल में बाहुबली अतीक अहमद का पूर्व विधायक भाई अशरफ भी बंद है।
जेल में बैठकर अशरफ ने प्रयागराज में उमेश पाल की हत्या कराई। उमेश पाल प्रयागराज में 14 साल पहले हुए पूर्व विधायक राजूपाल हत्याकांड में गवाह था। जिसे 24 फरवरी को अतीक अहमद के गुर्गों ने प्रयागराज में बम बरसाकर और गोलियों से भून दिया। हालांकि इस मामले में शासन ने जेलर, डिप्टी जेलर सहित पांच कर्मचारियों को निलंबित कर दिया।
बरेली जेल में बंद माफिया अतीक अहमद का भाई अशरफ जेल से ही साम्राज्य चला रहा था। जेल में अशरफ की हनक का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता था कि एक संदेश मिलते ही अशरफ के गुर्गों से मुलाकात करा दी जाती थी। जेल से ही अशरफ अपने गुर्गों को वॉट्सऐप कॉल भी करता था। इसके साथ ही जेल कर्मचारियों को इस मुलाकात के बदले में पैसे और उपहार भी मिलते थे। जेल के इस पूरे खेल में जेल वार्डन, डिप्टी जेलर, जेलर के शामिल होने की पुष्टि के बाद सभी को निलंबित कर जांच भी की जा रही है। उमेश पाल की हत्या से पहले भी बरेली जेल से ही वॉट्सऐप कॉल की बात सामने आई है।
यूपी की चित्रकूट की रगौली जेल में माफिया मुख्तार अंसारी के बेटे अब्बास अंसारी का नेटवर्क किस कदर चलता था। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि 85 दिनों तक जेल के अधिकारियों और कर्मचारियों की मदद से अब्बास अंसारी अपनी पत्नी निखत अंसारी से बेरोक-टोक चार से पांच घंटे की मुलाकात करते रहे।
इसके साथ ही मनी लॉड्रिंग केस में बंद अब्बास अंसारी जेल से ही सारा नेटवर्क चला रहा था। माफिया मुख्तार अंसारी के रियल एस्टेट के कारोबार, ठेकेदारी और कंस्ट्रक्शन कंपनी वह यहीं से ऑपरेट कर रहा था। वो जेल में बैठकर अपने गैंग के गुर्गों को कमांड देता था।
जेल से ही वह अपने सारे कामों पर नजर रखता था। जेल में पति से मिलने से पहले वह न कहीं साइन करती थी न ही कोई एंट्री करती थी। जेल में दोनों के लिए जेल सुपरिटेंडेंट के ऑफिस के बगल में एक VIP कमरा बुक रहता था। जहां वो अपने पति के साथ 4-5 घंटे बिताया करती थी। इस पूरे मामले का खुलासा भी तब हुआ जब सूचना पर चित्रकूट के डीएम और एसपी ने सिविल ड्रेस में जेल में छापा मारा। तब ये बात भी सामने आई की जेल के संतरी से लेकर अधिकारियों तक किस तरह से पैसे और तोहफे बांटकर सभी का मुंह बंद करा दिया जाता था। अब्बास अंसारी की पत्नी निखत की गाड़ी की तलाशी नहीं होती थी। यही कारण है कि प्रशासन की संयुक्त टीम ने निखत को हिरासत में लिया तो निखत की पर्स से दो मोबाइल फोन के साथ दुबई की करेंसी भी मिली। इस मामले में शासन ने चित्रकूट के जेल अधीक्षक अशोक सागर, जेलर संतोष कुमार, डिप्टी जेलर पीयूष पांडे और 5 जेल वार्डर को सस्पेंड कर दिया गया है।
पंजाब जेल की रोपड़ जेल से अप्रैल 2021 में यूपी की बांदा जेल में आए माफिया मुख्तार अंसारी का रसूख इतना कि कोई जेल अधीक्षक चार्ज लेने को तैयार नहीं हुआ। मुख्तार अंसारी को बांदा जेल शिफ्ट किए जाने के के बाद दो जेल अधिकारियों विजय विक्रम सिंह और एके सिंह को भेजा गया। बाद में सामने आया कि दोनों अधिकारियों ने मुख्तार की हनक के आगे सरेंडर कर दिया था। जून 2021 में बांदा जिला प्रशासन ने मंडल जेल कारागार में छापेमारी की थी। उस दौरान कई जेल कर्मचारी मुख्तार की सेवा में लगे मिले। इस मामले में तत्कालीन डीएम अनुराग पटेल और एसपी अभिनंदन की संयुक्त रिपोर्ट पर डिप्टी जेलर वीरेश्वर प्रताप सिंह और चार बंदी रक्षक निलंबित कर दिए गए थे। प्रदेश के पूर्व डीजीपी रहे बृजलाल कई बार इस बात को भी कह चुके हैं कि वर्ष 2007 में गाजीपुर जेल में बैडमिंटन कोर्ट और स्वीमिंग पूल बनाया गया था जहां देर शाम तत्कालीन डीएम मुख्तार के साथ बैडमिंटन खेलते थे।
गुजरात राज्य के साबरमती जेल में बंद होने से पहले माफिया अतीक अहमद का ठिकाना यूपी की देवरिया जेल थी। अप्रैल 2021 में पूर्व सांसद बाहुबली नेता अतीक अहमद ने लखनऊ के रहने वाले रियल स्टेट कारोबारी मोहित जायसवाल को देवरिया की जेल में बुलाकर जमकर पिटाई करने के साथ रंगदारी की मांग की थी। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि अतीक जेल से ही किस तरह से अपनी दबंगई चलाता था।
जेल में बंद होने के बाद यह माफिया गिरोह आसानी से अपनी गतिविधियों को संचालित करते हैं। यही कारण है कि प्रदेश में कई ऐसे शूटआउट हुए जो जेल में रहते हुए इन आकाओं ने अंजाम दिलवाए। इन हत्याओं में माफिया मुख्तार अंसारी पर लखनऊ के जेल अधीक्षक आरके तिवारी हत्याकांड, भाजपा विधायक कृष्णानंद राय हत्याकांड का आरोप था, हालांकि इन दोनों मामलों में माफिया मुख्तार बरी हो चुका है।
वहीं अतीक अहमद और अतीक अहमद के भाई अशरफ पर उमेश पाल हत्याकांड को अंजाम देने का आरोप है। आजमगढ़ जिले के पूर्व विधायक सर्वेश सिंह सीपू हत्याकांड को भी यूपी के कुख्यात अपराधी D-11 गैंग के सदस्य ध्रुव कुमार सिंह कुंटू पर है।
इसके साथ ही मऊ जिले के पूर्व ब्लाक प्रमुख रहे हिस्ट्रीशीटर अजीत सिंह की हत्या का आरोप है। इसके साथ ही मऊ के माफिया मनोज सिंह काका पर आजमगढ़ के जेलर रहे दीपसागर सिंह की वर्ष 2005 में हत्या के आरोप हैं। जेल में रहकर हत्याओं को कराने के बारे में वरिष्ठ अधिवक्ता का कहना है कि ऐसे में जेल में बंद आकाओं के ऊपर 120बी यानी षडयंत्र रचने का ही मामला बनता है, जिससे इन माफियाओं की राह आसान हो जाती है।
प्रदेश सरकार जेलों में मोबाइल के इस्तेमाल को रोकने के लिए नए प्रयोग कर रही है। लेकिन जेल से मोबाइल चलने की गतिविधियां रूकने का नाम नहीं ले रही हैं। लखनऊ, गोरखपुर, बांदा, चित्रकूट, बरेली, आजमगढ़, बाराबंकी, बलिया सहित प्रदेश की कई जेलों में आए दिन छापेमारी में मोबाइल मिलते रहे हैं। मोबाइल और मादक पदार्थों के मिलने के बाद छोटे कर्मचारियों से लेकर जेलर और जेल अधीक्षक तक को निलंबित किया जाता है।
दैनिक भास्कर से बातचीत करते हुए Dg jail pro संतोष कुमार का कहना है कि वर्तमान समय में 3600 वीडियो कैमरों से प्रदेश की जेलों की मॉनिटरिंग की जा रही है। बरेली और चित्रकूट की घटनाओं के बाद आने वाले हर मुलाकाती पर नजर रखी जा सके इसको लेकर 1200 वीडियो कैमरे और मंगाए जा रहे हैं, जिन्हें जल्द ही इन जेलों में लगा दिया जाएगा।
जिससे प्रदेश की जेलों में बंद सभी कैदियों की मॉनिटरिंग की जा सके। इसके साथ ही प्रभावशाली कैदियों की निगरानी के लिए विशेष व्यवस्था की जा रही है। प्रदेश की जेलों में करीब एक लाख 16 हजार कैदी बंद हैं।