दिल्ली हाई कोर्ट ने अजमेर शरीफ दरगाह के CAG ऑडिट के आदेश पर अगली सुनवाई तक के लिए रोक लगा दी है. हाई कोर्ट ने दरगाह की इस दलील पर रोक लगाने का निर्देश दिया कि सीएजी अधिनियम की धारा 20 के तहत जरूरी शर्तें पूरी नहीं की गई हैं.

दरगाह कमेटी द्वारा यह भी तर्क दिया गया कि जब अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री द्वारा ऑडिट करने के लिए पत्र जारी किया गया था, तो सीएजी ने उस पर सहमति नहीं जताई थी. दिल्ली हाईकोर्ट अब इस मामले की सुनवाई 28 जुलाई को करेगा. 

दरगाह की दलील को कोर्ट ने माना सही
लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली हाई कोर्ट के जज ने दरगाह की ओर से दी गई इस दलील को सही माना कि CAG अधिनियम की धारा 20 के तहत जरूरी शर्तें पूरी नहीं की गई थीं. यह मामला अंजुमन मोइनिया फखरिया चिश्तिया खुद्दाम ख्वाजा साहिब सैयदज़ादगान दरगाह शरीफ अजमेर द्वारा दायर दो याचिकाओं के संदर्भ में था.

पहली याचिका में क्या था?
पहली याचिका में अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय द्वारा मार्च 2024 में जारी एक पत्र को चुनौती दी गई थी, जिसमें दोनों अंजुमनों सैयदज़ादगान और शेखज़ादगान की आय और व्यय की ऑडिट कराने का प्रस्ताव CAG को भेजा गया था. 

दूसरी याचिका में क्या था?
दूसरी याचिका में CAG द्वारा याचिकाकर्ता संस्था के खातों की ऑडिट प्रक्रिया को चुनौती दी गई थी. यह कहा गया था कि CAG अधिनियम की धारा 20(1) के अनुसार राष्ट्रपति की सहमति नहीं ली गई. जब अल्पसंख्यक मंत्रालय ने पत्र जारी किया, तब तक CAG ने ऑडिट के लिए सहमति ही नहीं दी थी. इसलिए यह प्रक्रिया कानूनी प्रावधानों का उल्लंघन है. 

इसके अलावा, इसके बाद कोर्ट ने CAG के वकील से दो सवाल पूछे. पहला यह कि क्या मार्च 2024 में पत्र जारी होने के समय CAG ने याचिकाकर्ता संस्था की ऑडिट के लिए सहमति दी थी? दूसरा यह कि क्या वित्त मंत्रालय द्वारा 13 जनवरी को CAG को भेजे गए पत्र में ऑडिट से संबंधित शर्तों पर सहमति बनी थी? दोनों का जवाब वकील ने ना में दिया. ऐसे में कोर्ट ने ऑडिट पर अंतरिम रोक लगा दी.

By admin

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Verified by MonsterInsights