ज्ञानवापी परिसर को लेकर अखिलेश यादव और आईएमआईएम के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी के खिलाफ दाखिल याचिका पर आज सुनवाई टल गई है। अब अदालत ने आखिरी मौका देते हुए ने 2 दिसंबर की तारीख दी है।
आपको बता दें कि हरिशंकर पांडेय ने कोर्ट में अधिवक्ता आरपी शुक्ल,अजय प्रताप सिंह, घनश्याम मिश्र के जरिये कोर्ट में प्रार्थनापत्र देकर ये आरोप लगाया था कि ज्ञानवापी परिसर में नमाजियों की ओर से वजूखाने में हाथ-पैर धोया जाता है और तमाम तरह की गंदगी भी फैलाई जाती है जबकि वह स्थान हमारे अराध्य भगवान शिव का स्थान है। उन्होंने आगे कहा था कि यह हिंदू समाज के लिए अपमानजनक बात है।
इसके साथ ही सर्वे में मिले शिवलिंग को लेकर एआईएमआईएम के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी, सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव आदि ने ज्ञानवापी प्रकरण पर बयान देकर हिंदुओं की भावनाओं पर कुठाराघात किया है।
दरअसल ज्ञानवापी मस्जिद सर्वे के दौरान जब मस्जिद से शिवलिंग मिलने का दावा किया गया था तब समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने बयान दिया था जिसमें कहा गया था कि “अगर किसी पीपल के पेड़ के नीचे पत्थर रख दिया जाए और एक झंडा लगा दिया जाए तो वो मंदिर बन जाता है।” इसके साथ ही उन्होंने अयोध्या मामले का जिक्र करते हुए कहा था कि “रात के अंधेरे में मूर्तियां रख दीं जाती है।”
दरअसल ज्ञानवापी मस्जिद सर्वे के दौरान जब मस्जिद से शिवलिंग मिलने का दावा किया गया था तब समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने बयान दिया था जिसमें कहा गया था कि “अगर किसी पीपल के पेड़ के नीचे पत्थर रख दिया जाए और एक झंडा लगा दिया जाए तो वो मंदिर बन जाता है।” इसके साथ ही उन्होंने अयोध्या मामले का जिक्र करते हुए कहा था कि “रात के अंधेरे में मूर्तियां रख दीं जाती है।”