हिमाचल प्रदेश के मंडी लोकसभा क्षेत्र में 2024 के आम चुनावों में एक हाई-प्रोफाइल चुनावी लड़ाई देखने को मिल रही है, जिसमें बॉलीवुड अभिनेत्री से नेता बनीं भाजपा की कंगना रनौत का मुकाबला कांग्रेस के दिग्गज नेता विक्रमादित्य सिंह से है। चौंतीस वर्षीय सिंह ने पहले दो विधानसभा चुनाव लड़े हैं, लेकिन संसदीय सीट के लिए यह उनका पहला प्रयास है। अब की बात करें तो मंडी की लोकसभा सीट पर किस की जीत होगी आज शाम तक इसका पता लग जाएगा। शुरुआती बढ़त में कंगना रनौत आगे चल रही है। उन्हें अब तक 434434 वोट मिले हैं और फिलहाल वह 59014 वोटों से आगे चल रही हैं।

– कंगना रनौत (बीजेपी) – 434434 वोट पड़े, 59014 आगे
– विक्रमादित्य सिंह (कांग्रेस) – 375420 वोट पड़े, 59014 पीछे
– डॉ. प्रकाश चंद भारद्वाज (बहुजन समाज पार्टी) – 3437 वोट पड़े, 430997 पीछे
– नरेंद्र कुमार (राष्ट्रीय देवभूमि पार्टी)- 1930 वोट पड़े, 432504 पीछे
– राखी गुप्ता (स्वतंत्र)- 801 वोट पड़े, 433633 पीछे

कंगना ने 24 मार्च को अपनी उम्मीदवारी की घोषणा के बाद एक सोशल मीडिया पोस्ट मकर लिखा था कि, “मेरे प्यारे भारत और भारतीय जनता की अपनी पार्टी, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को मेरा हमेशा बिना शर्त समर्थन रहा है, आज भाजपा के राष्ट्रीय नेतृत्व ने मुझे मेरे जन्मस्थान हिमाचल प्रदेश, मंडी (निर्वाचन क्षेत्र) से अपना लोकसभा उम्मीदवार घोषित किया है। मैं लोकसभा चुनाव लड़ने के हाईकमान के फैसले का पालन करती हूं। मैं आधिकारिक तौर पर पार्टी में शामिल होने पर सम्मानित और उत्साहित महसूस कर रही हूं। मैं एक योग्य कार्यकर्ता और एक विश्वसनीय जनसेवक बनने की उम्मीद करती हूं। धन्यवाद।”

बता दें कि कंगना के परदादा सरजू सिंह रनौत अपने टाइम में विधायक थे। उनकी मां आशा रनौत मंडी से एक स्कूल शिक्षिका के रूप में सेवानिवृत्त हुईं और उनके पिता अमरदीप रनौत एक व्यवसायी हैं। इससे पहले आशा रनौत ने एक बार उल्लेख किया था कि परिवार ने शुरू में कांग्रेस का समर्थन किया था, लेकिन कंगना के प्रभाव के कारण भाजपा के प्रति निष्ठा बदल गई। 1 जून को लोकसभा चुनाव के सातवें और अंतिम चरण में मंडी में चुनाव प्रचार करते हुए, रनौत ने सोशल मीडिया पर विवाद खड़ा कर दिया। उन्होंने दावा किया कि भारत वास्तव में 2014 में ही स्वतंत्र हुआ था और उन्होंने भारत को ‘हिंदू राष्ट्र’ बनाने की इच्छा व्यक्त की। 543 सीटों के लिए लोकसभा चुनाव 19 अप्रैल से शुरू होकर सात चरणों में हुए थे, जबकि अंतिम चरण 1 जून को हुआ था। भारतीय जनता पार्टी नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री के रूप में केंद्र में एक दुर्लभ तीसरा कार्यकाल चाह रही है।

 

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