कर्नाटक विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान अभी नहीं किया गया है। लेकिन भाजपा दक्षिण के इस दुर्ग को किसी हाल में गंवाना नहीं चाहती है। कहा जाता है कि भाजपा का दक्षिण का रास्ता कर्नाटक से ही होकर जाता है। यही वजह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा जैसे नेताओं के तूफानी दौरे हो रहे हैं। इन शीर्ष नेताओं के अलावा हिमंता बिस्वा सरमा पिछले एक हफ्ते के अंदर दो बार कर्नाटक पहुंच चुके हैं। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तरह हिमंता बिस्वा सरमा की भी डिमांड चुनावी राज्यों में खूब हो रही है।कर्नाटक में अमित शाह के इस ‘जनरल’ ने पहले दो दौरों में बयानों के जरिए सबका ध्यान अपनी ओर खिंचा है। लेकिन सवाल यह खड़ा हो रहा है कि आखिर कर्नाटक के रण में हिमंता को उतारकर भाजपा क्या संदेश देना चाहती है?
दक्षिण भारत की राजनीति पर नजर रखने वाले अनुराग नायडू हिमंता के कर्नाटक दौरे को लेकर कहते हैं, “अभी चुनाव तारीखों का ऐलान नहीं किया गया है। ऐसे में भाजपा सभी संभावओं को टेस्ट कर रही है। हिमंता का कर्नाटक आना उसी रणनीति से जुड़ा है।” अनुराग बताते हैं, “भाजपा हार्ड हिंदुत्व के सहारे कर्नाटक में आगे बढ़ रही है। सावरकर यात्रा, टीपू सुल्तान विवाद, भाजपा कार्यकर्ताओं की हत्या, पीएफआई के बैन से जो माहौल बना है, भाजपा उसे हिमंता जैसे नेताओं के सहारे और हवा दे रही है।”
हिमंता के कर्नाटक दौरे को लेकर गोरखपुर विश्वविद्यालय में राजनीति विभाग में शिक्षक डाॅ महेंद्र सिंह कहते हैं,”कर्नाटक भाजपा की हिंदुत्व की पाॅलिटिक्स की प्रयोगशाला रही है। लेकिन यद्दुरप्पा के हटने के बाद वहां एक रिक्तता आ गई है। जिसे आक्रमक हिंदुत्व और मोदी के नेतृत्व की मदद से भरने की कोशिश है। असम के मुख्यमंत्री बनने के बाद जिस तरह हिमंता बयान दे रहे हैं। वह भाजपा की आक्रमक हिंदुत्व की राजनीति को भा रहा है। कर्नाटकर में उसी का लाभ उठाने का प्रयास किया जा रहा है।”
असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा एक हफ्ते के अंदर दो बार कर्नाटक कौ दौरा कर चुके हैं। अपने पहले दौरे में वो बेल्लारी में डोडा बसवेश्वर मंदिर में दर्शन किए। कोप्पल जिले के कवि सिद्धेश्वर मठ में गए। कनकगिरी में पार्टी के लिए रोड शो किया। इस दौरान उन्होंने बयान दिया कि त्रेतायुग में जो काम हनुमान जी ने किया था वही काम आज नरेंद्र मोदी कर रहे हैं। एक समय अयोध्या में बाबरी मस्जिद हुआ करती थी आज वहां मोदी जी के समय में राम मंदिर बन रहा है। गुरुवार को हिमंता एक बार फिर कर्नाटक पहुंचे। इस बार उन्होंने बेलगावी में छत्रपति शिवाजी पर आधारित लाइट एंड साउंड शो का उद्घाटन किया है। इस दौरान वो एक बार फिर अपने चिर-परिचित अंदाज में नजर आए।
कर्नाटक दौरे पर असर के सीएम को लेकर दिए गए बयानों को लेकर गुवाहाटी के बी.बरुआ काॅलेज में अस्टिटेंट प्रोफेसर जाॅयजीत हजारिका कहते हैं, “हिमंता बिसवा सरमा एक सामान्य नेता नहीं है। वो कोई भी बयान देने से पहले उसके मायने और होने वाले असर को जरूर सोचते हैं। उनके बयान और काम हमेशा लम्बे समय को ध्यान रखकर बोले और किए जाते हैं। यही वजह है कि भाजपा टाॅप लीडरशीप उन्हें साउथ में भेज रही है।”
वहीं, काॅटन विश्वविद्यालय में राजनीति शास्त्र के अस्टिटेंट प्रोफेसर डाॅ ज्ञानेंद्र बर्मन का कहना है, “भाजपा पर आरोप लगता रहा है कि वह काऊ बेल्ट या हिंदी बेल्ट की पार्टी है। लेकिन 2014 के परिस्थितियां तेजी से बदली हैं। भाजपा जानती है कि अगर वह हिंदी बेल्ट पार्टी के आरोपों का जवाब ठीक से नहीं दिया तो उसे भविष्य में नुकसान हो सकता है। यही वजह है कि हिमंता को आगे किया जा रहा है। एक नाॅर्थ ईस्ट का नेता जब भाजपा की सभी प्रदेशों की पार्टी कहता है तो दक्षिण के राज्यों में वह संदेश दूर तक पहुंचता है।”
कर्नाटक के रण में भाजपा का हिमंता वाला दांव कितना सफल रहा यह चुनावी परिणाम बताएंगे। लेकिन बीजेपी कोई कोर-कसर नहीं छोड़ना चाह रही है। भाजपा जानती है कि इस बार की कर्नाटक का रण आसान नहीं रहने वाला है।