उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले में दो जुलाई को एक धार्मिक आयोजन के दौरान मची भगदड़ के मामले में मुख्य आरोपी देव प्रकाश मधुकर और नौ अन्य आरोपियों को एक अदालत में पेश किया गया। एक अधिवक्ता ने बताया कि मामले की अगली सुनवाई नौ अक्टूबर को होगी। पुलिस के अनुसार, इस हादसे में 121 लोगों की मौत हुई थी। पुलिस ने स्वयंभू संत सूरजपाल उर्फ ‘नारायण साकार हरि’ के आयोजन में शामिल 11 आरोपियों को गिरफ्तार किया था, जिसमें से एक आरोपी मंजू यादव, इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश के बाद वर्तमान में जमानत पर बाहर है। मामले में दर्ज प्राथमिकी में संत सूरजपाल उर्फ ‘भोले बाबा’ का आरोपी के रूप में उल्लेख नहीं किया गया था।

बचाव पक्ष अधिवक्ता एपी सिंह ने शुक्रवार को बताया कि अलीगढ़ जेल में बंद आरोपियों को चार्जशीट की प्रतियां प्राप्त करने के लिए जिला एवं सत्र न्यायालय, हाथरस में पेश किया गया। उन्होंने कहा कि प्रतियां ‘पेन ड्राइव’ (यूएसबी) में उपलब्ध कराई जानी थीं लेकिन कुछ आरोपियों ने आरोपपत्र की ‘हार्ड कॉपी’ प्राप्त करने के लिए अर्जी दी थी। उन्होंने बताया, “अदालत ने मामले की अगली सुनवाई के लिए नौ अक्टूबर की तारीख तय की है और उससे पहले आरोपियों को (आरोप पत्र की) एक प्रति दी जाएगी। मामले की अभी भी जांच जारी है। हम आरोप पत्र का अध्ययन करेंगे, यह 3,200 पन्नों का एक बड़ा आरोप पत्र है।”

वकील ने बताया कि मामले में 1100 हलफनामे जमा किए गए और 500 लोगों के बयान दर्ज किए गए। उन्होंने दावा किया कि प्रथम दृष्टया आरोपपत्र में अवैध संपत्तियों या किसी राजनीतिक दल से कार्यक्रम के लिए धन के बारे में कुछ भी उल्लेख नहीं किया गया है। उन्होंने कहा, “आरोपी कार्यक्रम के दौरान पानी और पार्किंग जैसी व्यवस्था में लगे हुए थे। भगदड़ किसी जहरीले पदार्थ के छिड़काव के कारण हुई और यह राज्य सरकार, सनातन धर्म, नारायण साकार हरि (सूरजपाल) की छवि को धूमिल करने के प्रयास का हिस्सा था। यह किसी राजनीतिक दल की साजिश भी हो सकती है। जैसा कि हमने देखा कि आरोप पत्र की प्रति आज साझा की गई लेकिन (बसपा प्रमुख) मायावती ने कल ही दावा किया कि उन्हें (सूरजपाल) बचाया जा रहा है।” अधिवक्ता ने कहा, “उन्होंने (बसपा प्रमुख) यह टिप्पणी कैसे की! शायद उन्हें जलन हो रही है।”

 

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