पिछले 15 महीने से बेटी के लिए छटपटा रही महिला की करुण पुकार हाईकोर्ट ने सुन ली है। शनिवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने लाचार ‘मां’ को शारीरिक, मनोवैज्ञानिक और भावनात्मक रूप से बेटी से मिलने के आदेश जारी कर दिए हैं। इसकी जिम्मेदारी जिला प्रोबेशन अधिकारी को सौंपी है। हाईकोर्ट ने कहा कि जिला प्रोबेशन अधिकारी की उपस्थिति में ‘यशोदा’ अपनी बच्ची से मिलती रहेगी। हाईकोर्ट का आदेश सुनकर ‘मां यशोदा’ की आंखें भर आईं। वह कोर्ट रूम में ही फफक कर रो पड़ी।
दरअसल, आगरा निवासी ‘यशोदा’ पिछले आठ सालों से पालन पोषण कर रही थी। साल 2014 में किन्नर से मिली बच्ची को पालने वाली ‘यशोदा’ को बाल कल्याण समिति ने ‘यशोदा’ के पास आय का स्‍थायी साधन न होने का हवाला देकर अलग कर दिया था। इसके बाद 15 महीनों से बालिका आगरा के बाल गृह में निरुद्ध है। उसे बालिका से मिलने भी नहीं दिया जाता था। बाल गृह के बाहर घंटों आंसू बहाकर लौट आती थी। अब उसे बच्ची से मिलने से कोई नहीं रोकेगा।
पालनहार मां की तरफ से अधिवक्ता विपिन चंद्र पाल ने पक्ष रखते हुए दलील दी कि यशोदा ने सात साल तक बच्ची का पालन पोषण किया है। उसे नवजात बालिका कुछ ही घंटों की मिली थी। बच्ची तथा परिवार के सदस्यों का आपस में भावनात्मक लगाव है। बच्ची को पालनहार से दूर नहीं करना चाहिए। जब कोर्ट ने बच्ची से मिलने का निर्णय फैसला दिया तो कोर्ट में मौजूद हर व्यक्ति की आंख नम हो गई। कोर्ट रूम में सुनवाई के दौरान यशोदा के साथ चाइल्ड राइट्स एक्टिविस्ट नरेश पारस भी मौजूद रहे। वह समय-समय पर यशोदा को ढांढस बंधाते रहे।

By admin

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Verified by MonsterInsights