समाजवादी पार्टी के पूर्व नेता स्वामी प्रसाद मौर्या ने राष्ट्रीय महासिचव के पद से इस्तीफा दे दिया है। इस दौरान उन्होंने अध्यक्ष अखिलेश यादव को पत्र लिखा और आरोप लगाया कि उनके साथ भेदभाव हुआ है। अब इस मामले पर राष्ट्रीय लोकदल ने अपनी प्रतिक्रिया दी है।
रालोद प्रवक्ता रोहित अग्रवाल ने अपने सोशल मीडिया हैंडल ‘X’ पर लिखा कि, “स्वामी प्रसाद मौर्य ने दुखी मन से समाजवादी पार्टी से इस्तीफा दिया है। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पर लगाया आरोप कि वह आश्वासन देने के बाद भी सड़कों पर संघर्ष करने के लिए 2023 में रथ यात्रा करने को तैयार नहीं हुए। मौर्य समाज से आने के कारण राष्ट्रीय सचिव होने के बावजूद समाजवादी पार्टी में उनका सम्मान नहीं। उनके साथ गाली गलौज की जाती है वह जान से मारने की धमकी दी जाती है। इसका मतलब साफ है PDA का नारा सिर्फ वोट हड़पने की राजनीति है।”
स्वामी प्रसाद मौर्य ने अपने इस्तीफा पत्र में लिखा, “जबसे मैं समाजवादी पार्टी में सम्मिलित हुआ, लगातार जनाधार बढ़ाने की कोशिश की। सपा में शामिल होने के दिन ही मैंने नारा दिया था पच्चासी तो हमारा है, 15 में भी बंटवारा है। हमारे महापुरूषों ने भी इसी तरह की लाइन खींची थी। भारतीय संविधान निर्माता बाबा साहब डॉक्टर अंबेडकर ने बहुजन हिताय बहुजन सुखाय की बात की तो डॉ. राम मनोहर लोहिया ने कहा कि सोशलिस्टो ने बांधी गांठ, पिछड़ा पावै सो में साठ, शहीद जगदेव बाबू कुशवाहा और रामस्वरूप वर्मा ने कहा था सौ में नब्बे शोषित हैं, नब्बे भाग हमारा है। इसी प्रकार सामाजिक परिवर्तन के महानायक काशीराम साहब का भी वही था नारा 85 बनाम 15 का।”