पूर्व पीएम और उस समय अमेठी से सांसद राजीव गांधी की 21 मई, 1991 को तमिलनाडु के श्रीपेरंबदूर में एक आत्मघाती हमले में हत्या कर दी गई थी। हमले में राजीव गांधी और हमलावर धनु समेत 16 लोगों की जान गई। इस केस में निचली अदालत ने 26 दोषियों को मौत की सजा सुनाई थी। 1999 में सुप्रीम कोर्ट ने 19 लोगों को बरी कर दिया और चार अभियुक्तों- नलिनी, मुरुगन, संथन और पेरारिवलन को मौत की सजा सुनाई। सुप्रीम कोर्ट ने तीन लोगों रविचंद्रन, रॉबर्ट पायस और जयकुमार को उम्रकैद दी। बाद में जिनको मौत की सजा मिली, उसे भी उम्रकैद में बदल दिया गया। सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी की माफी की वजह से इन लोगों की फांसी को उम्रकैद में बदला गया था।
नलिनी ने 2022 में जेल से छूटने के बाद बताया था कि उनको फांसी का ऐलान होने के बाद अंतिम इच्छा जानने के लिए एक धर्मगुरु भी आकर मिल गए थे। उनका वजन लेकर उसी वजन की रेत की बोरी को लटका कर रिहर्सल भी किया गया। फिर उनको पता चला कि फांसी को टाल दिया गया है।
साल 1999 में गांधी परिवार ने राजीव गांधी हत्याकांड की दोषी नलिनी को माफ करने का फैसला किया था। नवंबर 1999 को सोनिया गांधी ने तत्कालीन राष्ट्रपति केआर नारायणन से कहा था कि वो और उनके बच्चे नलिनी को माफ किए जाने की अपील करते हैं। दरअसल राजीव गांधी हत्याकांड में जब नलिनी को गिरफ्तार किया गया, तब वो 2 महीने की गर्भवती थीं। उन्होंने जेल में ही बेटी को जन्म दिया था। जब नलिनी को फांसी की सजा सुनाई गई तो उसकी बेटी 7 साल की थी। सोनिया गांधी की अपील के बाद नलिनी की सजा को घटाकर उम्रकैद में तब्दील कर दिया गया। बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, सोनिया ने कहा था कि नलिनी की गलती की सजा एक मासूम बच्चे को कैसे मिल सकती है, जो उसकी गिरफ्तारी के वक्त तक दुनिया में भी नहीं आया था।
19 मार्च 2008 को वेल्लोर जेल में प्रियंका गांधी ने नलिनी से मुलाकात की थी। नलिनी ने अपनी किताब में प्रियंका के उनसे मिलने के बाद फूट-फूटकर रोने का जिक्र किया है। इसके 2 साल बाद 2010 में प्रियंका गांधी ने एक टेलीविजन इंटरव्यू में इस पर बात की थी। उन्होंने कहा था कि मेरे अंदर पिता की मौत को लेकर बहुत गुस्सा था। आप सबसे ज्यादा प्यार करते हो, उसे अगर कोई जान से मार दे तो ये बहुत बड़ी बात हो जाती है। तब हम खुद को ज्यादा पीड़ित महसूस करते हैं। लेकिन जिस वक्त आपको ये अहसास होगा कि दूसरा व्यक्ति भी परिस्थितिवश आपकी ही तरह पीड़ित है, तो आप उस स्थिति में पहुंच जाते हो कि आप किसी को भी माफ कर दो।
प्रियंका गांधी ने नलिनी से मुलाकात के बारे में कहा था कि जब मैं उससे मिली तो मुझे महसूस हुआ कि अब मैं उससे गुस्सा नहीं हूं। मेरे भीतर नफरत भी नहीं थी। मैं अब भी सोच रही थी कि उसने जो किया, मैं उसे माफ कर सकती हूं। मुझे लगा कि ये भी औरत है और इसने भी सहा है, भले ही मेरे जितना नहीं सहा है।