उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि सुशासन के लिए पहली शर्त कानून का राज है और कानून का राज बगैर बार और बेंच के स्थापित नहीं हो सकता है। प्रयागराज में डॉ. राजेंद्र प्रसाद राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय के उद्घाटन कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तर प्रदेश में सुशासन को स्थापित करने में बार और बेंच का हमेशा सहयोग प्राप्त हुआ है जिससे प्रदेश कुछ नया करने की दिशा में अग्रसर हुआ है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार इस विश्वविद्यालय की आधारभूत संरचना के लिए धन उपलब्ध कराने में कोई भी कोताही नहीं बरतेगी। आम आदमी का विश्वास न्यायिक जगत से बना है और हमें उस विश्वास को बरकरार रखने में योगदान देना चाहिए।
योगी आदित्यनाथ ने कहा कि लोकतंत्र में यदि जनता का विश्वास डगमगाया तो उसे सड़कों पर उतरने में देर नहीं लगेगी। इस विश्वास को बनाए रखने के लिए जरूरी है कि हमें लोकतंत्र के स्तंभों को और मजबूती प्रदान करनी होगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि लोकतंत्र में संवाद बहुत महत्वपूर्ण है। आप अपनी बात शासन तक पहुंचा दीजिए। किसी भी माध्यम से हमारे तक वह बात पहुंचती है तो हम सकारात्मक ढंग से उसका समाधान निकालेंगे। सरकार तक बात पहुंचने का मतलब समस्या, समस्या नहीं रहनी चाहिए बल्कि वह समाधान में बदलनी चाहिए। उन्होंने कहा कि डॉ. राजेंद्र प्रसाद राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय हाल ही में संसद से पारित तीन कानूनों को लेकर युवा अधिवक्ताओं को प्रशिक्षित करने का विशेष कार्यक्रम आयोजित करे जिसमें प्रदेश सरकार पूरा सहयोग करेगी।
मुख्यमंत्री ने इस विश्वविद्यालय के कुलाधिपति एवं इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश अरुण भंसाली, विश्वविद्यालय के विजिटर एवं उच्चतम न्यायालय के न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा को प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ को मुख्य अतिथि के तौर पर आमंत्रित करने के धन्यवाद दिया। उद्घाटन कार्यक्रम को उच्चतम न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, उच्चतम न्यायालय के न्यायमूर्ति मनोज मिश्र, इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश अरुण भंसाली, उत्तर प्रदेश के महाधिवक्ता अजय कुमार मिश्रा और विश्वविद्यालय की कुलपति ऊषा टंडन ने भी संबोधित किया। कार्यक्रम में मुंबई उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति डीके उपाध्याय, छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा और इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायमूर्तिगण उपस्थित रहे।