सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को पूरे भारत में उसकी अनुमति के बिना बुलडोजर से तोड़फोड़ पर 1 अक्टूबर तक रोक लगा दी, और जब तक तोड़फोड़ सार्वजनिक सड़कों, जल निकायों, रेलवे लाइनों पर न हो। शीर्ष अदालत ने कहा कि वह भूमि के नगरपालिका कानूनों के तहत संपत्तियों को कब और कैसे ध्वस्त किया जा सकता है, इस पर निर्देश बनाएगी। इसको लेकर सपा मुखिया अखिलेश यादव का बयान सामने आया है। अखिलेश ने कहा कि बुलडोजर न्याय नहीं हो सकता। यह असंवैधानिक था, यह लोगों को डराने के लिए था।

भाजपा सरकार पर निशाना साधते हुए अखिलेश ने कहा कि विपक्ष की आवाज को जानबूझकर दबाने के लिए बुलडोजर चलाया गया। मैं इस निर्देश के लिए सुप्रीम कोर्ट को धन्यवाद देता हूं जिससे बुलडोजर बंद हो गया। उन्होंने कहा कि सीएम, यूपी सीएम और बीजेपी के लोगों ने ‘बुलडोजर’ का महिमामंडन किया जैसे कि यह न्याय है। उन्होंने कहा कि अब, जब सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया है, तो मुझे लगता है कि बुलडोजर बंद हो जाएगा और न्याय अदालत के माध्यम से आएगा।

पिछले हफ्ते, जस्टिस हृषिकेश रॉय, सुधांशु धूलिया और एसवीएन भट्टी की सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने “बुलडोजर न्याय” की आलोचना की थी और कहा था कि ऐसे देश में जहां कानून सर्वोच्च है, इस तरह की विध्वंस की धमकियां अकल्पनीय हैं। गुजरात में नगरपालिका अधिकारियों में से एक ने एक परिवार के घर पर बुलडोजर चलाने की धमकी दी, जिनमें से एक का नाम एफआईआर में दर्ज किया गया है। याचिकाकर्ता, खेड़ा जिले के कठलाल में एक भूमि के सह-मालिक ने नगर निगम अधिकारियों के फैसले के खिलाफ शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया था। याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि उनके परिवार की तीन पीढ़ियाँ लगभग दो दशकों से उक्त घरों में रह रही हैं।

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