अभी कुछ दिनों पहले ही सुप्रीम कोर्ट की सात जजों की पीठ ने अनुसूचित और अनुसूचित जन जाति के आरक्षण को लेकर एक अहम फैसला सुनाया था।

उस फैसले में कहा गया था कि अनुसूचित और अनुसूचित जन जातियों को मिले आरक्षण में उप वर्गीकरण हो सकता है। राज्य सरकारें इनमें वर्गीकरण करके ज्यादा पिछड़ी जातियों को आरक्षण देने का प्रावधान कर सकती हैं। सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद देश के कोने-कोने से प्रतिक्रियाएं आ रही थी, लेकिन अब इसमें लोकजनशक्ति पार्टी रामविलास पार्टी के मुखिया और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान भी शामिल हो गए हैं।

उन्होंने साफ तौर से कह दिया है कि वो सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से असहमत हैं। अनुसूचित जाति का कोई शैक्षणिक आधार नहीं है। इसका आधार अस्पृश्यता रहा है। इन सबके बीच, क्रीमी लेयर का प्रावधान हो ही नहीं सकता। उन्होंने कहा कि आज भी दलितों को मंदिर जाने की अनुमति नहीं है। ऐसे में आरक्षण में आरक्षण सही नहीं है। कुछ मीडिया कर्मियों के द्वारा पूछे गए सवाल के जवाब में चिराग ने कहा कि एलजेपी (रामविलास) सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार के लिए याचिका दायर करने जा रही है।

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