सुप्रीम कोर्ट ने उस समिति द्वारा मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति से संबंधित नए कानून पर रोक लगाने से शुक्रवार को इनकार कर दिया जिसमें भारत के प्रधान न्यायाधीश शामिल नहीं हैं। जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ हालांकि, नए कानून को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करने के लिए सहमत हो गई और उसने केंद्र को एक नोटिस जारी किया। पीठ ने नए कानून पर रोक लगाने का अनुरोध करने वाली कांग्रेस नेता जया ठाकुर की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील विकास सिंह से याचिका की एक प्रति केंद्र सरकार के वकील को देने को कहा। सिंह ने कहा, ‘‘कृपया इस कानून पर रोक लगाएं। यह शक्तियों को जुदा के विरुद्ध है।”

पीठ ने सिंह से कहा, ‘‘नहीं, दूसरे पक्ष को सुने बगैर हम रोक नहीं लगा सकते। हम नोटिस जारी करेंगे।” मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति के लिए अधिकृत समिति में भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) को शामिल न किए जाने को लेकर राजनीतिक विवाद के बीच सुप्रीम कोर्ट में ठाकुर समेत कई लोगों ने याचिकाएं दायर की है। वकील गोपाल सिंह ने भी सुप्रीम कोर्ट का रुख कर नए कानून को रद्द करने का अनुरोध किया जो केंद्र सरकार को चुनाव आयोग में नियुक्तियां करने की विशेष शक्तियां प्रदान करता है।

सिंह द्वारा दायर याचिका में सुप्रीम कोर्ट से ‘‘मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति के लिए एक निष्पक्ष और स्वतंत्र चयन समिति वाली स्वतंत्र और पारदर्शी चुनाव प्रणाली” लागू करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है। नए कानून में प्रावधान है कि ‘‘मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति एक चयन समिति की सिफारिश पर राष्ट्रपति द्वारा की जाएगी जिसमें प्रधानमंत्री (अध्यक्ष), संसद में विपक्ष के नेता (सदस्य), प्रधानमंत्री द्वारा नामित केंद्रीय कैबिनेट मंत्री (सदस्य) होंगे।”

विपक्ष ने मोदी सरकार पर चयन समिति से सीजेआई को हटाकर सुप्रीम कोर्ट की अवमानना करने का आरोप लगाया है। सुप्रीम कोर्ट ने मार्च 2023 में अपने आदेश में कहा था कि प्रधानमंत्री, लोकसभा में विपक्ष के नेता और सीजेआई मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों का चयन करेंगे।

 

 

By admin

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Verified by MonsterInsights