गोरखपुर में एक संगठित गैंग ने असली डॉक्टरों की डिग्री की नकल (क्लोन) बना खेल कर दिया। फर्जी प्रमाण पत्र से क्लिनिक और डायग्नोस्टिक सेंटर खोले गए। रविवार को गुलरिहा पुलिस ने इस गिरोह के तीन सदस्यों को गिरफ्तार कर लिया।पकड़े गए आरोपियों की पहचान गाजीपुर जिले के भुडकुडा थाना क्षेत्र के पदुमपुर मैगर राय के बृजेश लाल, वाराणसी सारनाथ के दीनापुर चिरईगांव के ओमप्रकाश गौतम और चौबेपुर थाना क्षेत्र के बराई निवासी दीपक विश्वकर्मा के रूप में हुई। पूछताछ के बाद पुलिस ने आरोपियों को कोर्ट में पेश कर जेल भिजवा दिया।
यह गिरोह प्रदेश के कई जिलों में ऐक्टिव था, जहां 50 हजार से लेकर पांच लाख रुपये तक की अवैध डिग्रियां बेची जा रही थीं। इन डिग्रियों का इस्तेमाल कर न केवल फर्जी क्लिनिक और सेंटर चलाए जा रहे थे, बल्कि मासूम मरीजों के साथ खिलवाड़ भी किया जा रहा था। SSP डॉ. गौरव ग्रोवर के नेतृत्व में पुलिस ने इस पूरे नेटवर्क का पर्दाफाश किया। दरअसल, डॉ. राहुल नायक कि दर्ज कराई गई शिकायत ने इस घोटाले की परतें खोलीं। उन्होंने बताया कि उनके नाम की डिग्री का गलत इस्तेमाल करते हुए कई जगहों पर डायग्नोस्टिक और अल्ट्रासाउंड सेंटर खोले जा रहे हैं। पुलिस की गहन जांच में गाजीपुर के जखनियां में एक अवैध सेंटर का संचालन पकड़ में आया, जिसे गिरफ्तार आरोपी बृजेश लाल चला रहा था।
पूछताछ में बृजेश ने बताया कि यह फर्जी डिग्री उसे वाराणसी के ओमप्रकाश गौतम ने दी थी, जिसने खुद यह डिग्री दीपक विश्वकर्मा से खरीदी थी। इस गिरोह का जाल कितना फैला हुआ था, इसका अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि वाराणसी और प्रयागराज में भी ऐसे अवैध क्लिनिक चल रहे थे, जिनकी जानकारी संबंधित अधिकारियों को दी जा चुकी है। पुलिस अब इस गिरोह के मुख्य सरगना की तलाश में जुटी है, और संभावना है कि आगे की जांच में और भी चौंकाने वाले खुलासे हो सकते हैं।