भारत में समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने की मांग को लेकर दायर याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ बुधवार को दोबारा सुनवाई शुरू हो गई है। सुप्रीम कोर्ट में समलैंगिक विवाह को लेकर पांच जजों CJI डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस रवींद्र भट, जस्टिस हेमा कोहली और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की संविधान पीठ के सामने सुनवाई हो रही है। केंद्र सरकार ने शीर्ष कोर्ट से कहा है कि इस मामले में फैसला सुनाने से पहले राज्यों से परामश करने का प्रयाप्त समय दिया जाना चाहिए।

केंद्र ने कहा है कि अदालत इस मामले में कोई फैसला करने से पहले केंद्र को राज्यों के साथ परामर्श की प्रक्रिया का समय मिलना चाहिए। केंद्र ने इस मामले में सभी राज्यों व केंद्रशासित प्रदेशों को भी पक्षकार बनाने की मांग की है।

केंद्र ने कहा कि देश के संविधान की सातवीं अनुसूची में समवर्ती सूची में ‘विवाह’ शामिल है। इसलिए समलैंगिक विवाह की कानून मान्यता को लेकर दायर याचिकाओं पर किसी निर्णय पर पहुंचने से पहले सभी राज्यों के साथ परामर्श आवश्यक है। समवर्ती सूची में उन मामलों को रखा जाता है, जो केंद्र एवं राज्य दोनों के अधिकार क्षेत्र में आते हैं।

केंद्र ने अपनी दलील में कहा कि इस मुद्दे के दूरगामी प्रभाव हैं, इसलिए यह आग्रह किया जाता है कि राज्यों को वर्तमान कार्यवाही में पक्षकार बनाया जाए। इस मामले को लेकर उनके संबंधित रुख को रिकॉर्ड में लिया जाए। केंद्र ने कहा है कि इस मुद्दे पर राज्यों को एक पक्ष बनाए बिना मौजूदा मुद्दे पर विशेष रूप से उनकी राय प्राप्त किए बिना कोई भी निर्णय ‘अधूरा और छोटा’ रहेगा।

By admin

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Verified by MonsterInsights