धर्म की नगरी काशी में आयोजित तीन दिवसीय संस्कृति संसद का समापन रविवार को हुआ । इस समापन के बाद काशी के संतों ने 9 सूत्रीय एजेंडे पर अपनी मुहर लगाई है जिसपर जो पार्टी लोकसभा चुनाव में अपनी सहमति जताएगी उसे संत अपना समर्थन देगी। इस बात का ऐलान आज प्रेस कांफ्रेंस कर अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्रीमहंत रविंद्र पूरी, अखिल भारतीय संत समिति के अध्यक्ष जगद्गुरु अविचल देवाचार्य, अखिल भारतीय संत समिति के महामंत्री स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती, अंतरराष्ट्रीय कार्याध्यक्ष विश्व हिंदू परिषद आलोक कुमार और काशी विद्वत परिषद के प्रोफेसर रामनारायण ने एक स्वर में किया। अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष ने कहा कि इस देश में जितनी भी राष्ट्रीय और क्षेत्रीय पार्टियां हैं उन्हें हम यह 9 सूत्रीय मांग का पत्रक सौंपेंगे ।
भारतीय संविधान की धारा 30 में हो संशोधन
इस संबंध में अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्रीमहंत रविंद्रपुरी ने बताया कि हमने 3 दिनों में देशभर के सभी प्रदेशों से आए 1500 संतों और महामंडलेश्वरों evn 127 संप्रदायों के प्रमुखों से व्यापक विचार विमर्श के बाद कोई भी शक्तिकिसी भी दशा में समाज को विभाजित कर्ण का कुचक्र नही रचे इसलिए हमने 9 सूत्रीय हिंदू एजेंडा घोषित किया है। इसमें मुख्य रूप से भारतीय संविधान की धारा 30 में संशोधन कर भारत के प्रत्येक संप्रदाय को शैक्षिक और सांस्कृतिक संस्थानों को स्थापित एवं संचालित करने के समान अधिकार दिए जाएं। प्रत्येक शिक्षण संस्थाओं के पाठ्यक्रम निर्माण और संचालन स्वायत्ता अनिवार्य रूप से मिलनी चाहिए ।
वक्फ एक्ट 1995 हो निरस्त
वहीं, अखिल भारतीय संत समिति के महामंत्री स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती ने कहा कि 9 सूत्रीय मांग में हमारी पहली मांग संविधान की धार 30 में संशोधन की मांग है। दूसरी मांग वक्फ एक्ट 1995 को निरस्त करने की मांग है। इस एक्ट के अंतर्गत वक्फ बोर्ड किसी भी संपत्ति को वक्फ बोर्ड की घोषित करने का जो अधिकार है उसे वापस लिया जाए। संपत्ति का अधिकार जैसे अन्य संप्रदायों को है वैसे ही मुस्लिम संप्रदायों को भी मिले ।इसके अलावा हमारी तीसरी बड़ी मांग है कि संघीय कानून बनाकर हिंदू मंदिरों को हिंदू समाज को वापस किया जाए ।
इन 9 सूत्रीय एजेंडे से राजनीतिक दलों को कराएंगे अवगत
तीन दिवसीय संस्कृति संसद में 1500 संतों और महामंडलेश्वर एवम 127 संप्रदायों के प्रमुखों ने निम्न 9 सूत्रीय एजेंडे पर अपनी मुहर लगाई है ।
1. भारतीय संविधान की धारा 30 में संशोधन कर भारत के प्रत्येक सम्प्रदाय को शैक्षिक और सांस्कृतिक संस्थानों को स्थापित एवं सञ्चालित करने के समान अधिकार दिये जाएँ। प्रत्येक शिक्षण संस्थाओं को अपने पाठ्यक्रम निर्माण और संचालन की स्वायत्तता अनिवार्य रूप से मिलनी चाहिए।
2. वक्फ एक्ट 1995 को निरस्त किया जाए अथवा उसमें वक्फ बोर्ड द्वारा किसी भी संपत्ति को वक्फ सम्पत्ति घोषित करने का अधिकार वापस लिया जाए। सम्पत्ति का अधिकार और प्रक्रिया सब सम्प्रदायों के जैसी ही और उतनी ही मुसलमानों को भी रहे।
3. संघीय कानून बनाकर हिन्दू मन्दिरों को हिन्दू समाज को वापस दिया जाए।
4. पर्यटन मंत्रालय में बनाकर तीनों का शाखीक रखते हुए विकास किया जाए। तीर्थचा की और वहां के पर्यावरण के संरक्षण के लिए पर आवश्यक है।
5. लव जिहाद एवं अवैध मांतरण को रोकने के लिए भी यह इस समय की अनिवार्य आवश्यकता है। नव जिहाद और इसके माध्यम से होने के साथ वही समस्या हिंसा की उत्पन्न हो चुकी है। हजारों मामले सामने आ चुके हैं हिंदू की धर्माकर विवाह किया गया और कुछ ही दिनों में उनकी हत्या कर दी गई। किसी भी दशा में रविवारी अनुमति नहीं होनी चाहिए विवाह के लिए रोकने के लिए प्रभावी कानून बनाया जाना अनिवार्य है।
6. भारत का प्रत्येक नागरिक बराबर है। देश में समान नागरिक संहिता लागू की जाए एक रा एक नागरिकता, एक कानून लागू हो।7. धर्मांतरित लोगों को जनजाति आरक्षण के दायरे से बाहर किया जाए। जो भी लोग किसी भी कारण धर्मातरित हुए या हो रहे हैं उन्हें किसी दशा में आरक्षण के दायरे में नहीं जा सकता। यह स्थिति स्पष्ट कर दी जानी चाहिए। इसके लिए कानून बने।

8. अन्य मतावलचियों की तरह मन्दिर के पुजारियों को मानदेय दिया जाए। प्रत्येक मंदिर में पूजा आरती और धार्मिक कार्यों के लिए नियुक्त प्रत्येक पुजारी को उसके भरण पोषण के लिए सम्मानजनक राशि समय से देना सुनिश्रित किया जाए।

9. सन्त सेवा प्राधिकरण बनाकर सन्तों की भौतिक कठिनाइयों का समाधान किया जाए। संत समाज भारत की सांस्कृतिक, सामाजिक शनि और एकता का आधार है। राष्ट्र सेवा का सबसे बड़ा दायित्व संतों पर है। भारत की संस्कृति, दर्शन और अध्यात्म के साथ राष्ट्र और समाज को एक सूत्र में रखने का दायित्व संत निभा रहे हैं। संवों की सुरक्षा, उनकी देखभाल और आवश्यकताओं की पूर्ति की जिम्मेदारी राज्यांराष्ट्र की ही है। इसके लिए केंद्र और राज्यों के स्तर पर संत सेवा प्राधिकरण की स्थापना आवश्यक है।

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