भारत के पड़ोसी देशों में मचा हाहाकार अब बांग्लादेश तक पहुंच गया है। बीते साल श्रीलंका में आर्थिक संकट और राजनीतिक अस्थिरता के चलते सड़कों पर हिंसा दिखी थी तो इन दिनों पाकिस्तान में उपद्रव के हालात हैं। यही नहीं इस बीच बांग्लादेश में भी डॉलर का संकट पैदा हो गया है और वह कच्चे तेल के आयात की पेमेंट भी नहीं कर पा रहा है। रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक बांग्लादेश पेट्रोलियम कॉरपोरेशन के ऊपर 300 मिलियन डॉलर की रकम बकाया है, जो उसे तेल खरीद के एवज में देनी है। लेकिन डॉलर की कमी के चलते पेमेंट करना मुश्किल है और नया आयात भी कर पाना संभव नहीं होगा।

देश भर में बांग्लादेश पेट्रोलियम कॉरपोरेशन के जरिए ही तेल की आपूर्ति की जाती है। इस बीच कंपनी ने सरकार से गुहार लगाई है कि वे देश के वित्तीय बैंकों को अनुमति दे कि वे भारत को बकाया रकम रुपये में ही चुका दें। बांग्लादेश का विदेशी मुद्रा भंडार बीते साल के मुकाबले एक तिहाई ही रह गया है। रूस की ओर से यूक्रेन पर हमला किए जाने के बाद से ही इसमें गिरावट का दौर चल रहा है। 17 मई तक के आंकड़ों के मुताबिक बांग्लादेश के पास कुल डॉलर रिजर्व 30.2 अरब डॉलर ही रह गया है।

कच्चे तेल के लिए पूरी तरह आयात पर निर्भर बांग्लादेश के लिए यह संकट कहीं गहरा है। तेल की कमी के चलते पावर कट हो रहा है और इससे इंडस्ट्री भी प्रभावित है। बांग्लादेश की इकॉनमी की रीढ़ कपड़ा और जूता उत्पादन को माना जाता है जो पूरी तरह से एक्सपोर्ट इंडस्ट्री है। यदि इनमें काम प्रभावित होता है तो फिर अर्थव्यवस्था को संभालना मुश्किल होगा और बेरोजगारी के हालात में राजनीतिक स्थिरता भी खतरे में होगी। बांग्लादेश की सरकारी तेल कंपनी का कहना है कि डॉलर की कमी के चलते पेमेंट नहीं हो पा रही है। केंद्रीय बैंक भी इस समस्या का हल नहीं कर पा रहा है और इसके चलते ईंधन की कमी का संकट भी हो सकता है।

कंपनी ने कहा कि मई में तेल की खरीद शेड्यूल के मुताबिक कम रही है और रिजर्व तेजी से खत्म हो रहा है। ऐसी स्थिति हमारे लिए चिंता की बात है। बांग्लादेश हर महीने 5 लाख टन रिफाइन ऑइल खरीदता है और 1 लाख टन कच्चे तेल की खरीद करता है। यह खरीद वह मोटे तौर पर चीन की कंपनी सिनोपेक, भारत की इंडियन ऑयल और इंडोनेशिया की बीएसपी से करता है। कंपनी ने कहा कि कई जगहों से यह कहा गया है कि यदि पेमेंट नहीं आती है तो फिर सप्लाई जारी रखना मुश्किल होगा। इसके अलावा कुछ कंपनियों ने माल की सप्लाई में पहले के मुकाबले कमी कर दी है। फिलहाल बांग्लादेश को भारत से उम्मीद है कि वह डॉलर की बजाय रुपये में पेमेंट कर पाएगा।

By admin

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Verified by MonsterInsights