शहीदों की कहानी आंखें नम कर देती है। लेकिन कई शहीदों के परिजन ऐसे भी होते हैं, जिनका राष्ट्रप्रेम बड़ी मिसाल कायम कर जाता है। आज एक ऐसे की शहीद और उनके परिवार की कहानी फिर खबरों में है। वजह है शादी के मात्र 15 महीने बाद शहीद हुए जवान की पत्नी का लेफ्टिनेंट बन जाना। यह कहानी है गलवान घाटी के हीरो शहीद लांसनायक दीपक सिंह की। जिनकी पत्नी रेखा सिंह शनिवार 29 अप्रैल को भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट के ओहदे से शामिल हुईं। रेखा का राष्ट्रप्रेम और उनका जज्बा तारीफ के काबिल हैं। सेना के वरीय अधिकारियों के साथ-साथ आज पूरे देश को उनपर गर्व हैं।

शहीद दीपक की पत्नी रेखा 8 महीने की कड़ी ट्रेनिंग को पूरा कर लेफ्टिनेंट बनी हैं। चेन्नई के ऑफिसर्स ट्रेनिंग अकादमी की पास आउट परेड में शामिल होने के बाद उन्हें आधिकारिक तौर पर इंडियन आर्मी में शामिल किया गया। रेखा सिंह के पति लांसनायक दीपक ने 15 जून 2020 को भारत-चीन सीमा पर स्थित गलवान घाटी में चीनी सैनिकों के साथ हुए संघर्ष के दौरान सर्वोच्च बलिदान दिया था।

गलवान घाटी में शहीद हुए लांसनायक दीपक सिंह को मरणोपरांत 2021 में सरकार ने वीर चक्र देकर सम्मानित किया था। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के हाथों दीपक की पत्नी रेखा ने ही यह सम्मान ग्रहण किया था। बिहार रेजिमेंट के जाबांज दीपक सिंह मूलरूप से मध्यप्रदेश के रीवा के रहने वाले थे। दीपक मात्र 30 साल की उम्र में देश की सुरक्षा में शहीद हुए थे।
लेफ्टिनेंट बनने के बाद शहीद दीपक सिंह की पत्नी रेखा सिंह ने कहा कि मेरे पति के गुजर जाने के बाद मैंने भारतीय सेना में शामिल होने का फैसला किया और इसकी तैयारी शुरू कर दी। आज मेरी ट्रेनिंग पूरी हो गई है और मैं लेफ्टिनेंट बन गई हूं। आज मुझे बहुत गर्व महसूस हो रहा है। रेखा ने आगे कहा कि मैं सभी महिला उम्मीदवारों को सलाह देना चाहूंगी कि वे खुद पर विश्वास करें और दूसरों के बारे में सोचे बिना वह करें जो वे करना चाहती हैं।

शनिवार को चेन्नई में ऑफिसर्स ट्रेनिंग अकादमी (OTA) की पास आउट परेड में 40 महिलाएं शामिल थी। जिसमें एक रेखा सिंह भी थी। रेखा की कहानी औरे से काफी अलग है। क्योंकि उन्होंने शादी के मात्र 15 महीने बाद पति को खोया। फिर पूरे परिवार की जिम्मेदारी के बाद भी उन्होंने सेना में शामिल होने का फैसला किया। और आज वो लेफ्टिनेंट बन गई। इस दौरान उनके परिवार के सदस्य भी मौजूद रहे।

दीपक सिंह की पत्नी रेखा ने बताया कि पति की शहादत के भी देशभक्ति का जज्बा था, इसलिए ही शिक्षक की नौकरी छोड़कर मैंने सेना में आने का फैसला लिया। उन्होंने बताया कि सेना में शामिल होने के सपने को लिए मैं तैयारी के लिए नोएडा आ गई। जहां पहले प्रयास में सफलता नहीं मिली। बावजूद मैंने हिम्मत नहीं हारी। दूसरे प्रयास में सफलता मिली। अब चेन्नई में 8 महीने की ट्रेनिंग पूरी कर मैं लेफ्टिनेंट बनी हूं।

 

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