नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के खिलाफ कथित भड़काऊ भाषण देने के मामले में शरजील इमाम ने वैधानिक जमानत के लिए दिल्ली की एक अदालत में याचिका दायर की है।
इमाम पर दिल्ली पुलिस की विशेष शाखा ने 2020 की एफआईआर-22 के तहत मामला दर्ज किया था। लेकिन, शुरू में मामला राजद्रोह के अपराध के लिए दर्ज किया गया था। बाद में गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) की धारा-13 जोड़ी गई।
शरजील इमाम 28 जनवरी 2020 से हिरासत में है और उसका तर्क इस दावे पर केंद्रित है कि उसने यूएपीए की धारा 13 के तहत निर्धारित अधिकतम सात साल की सजा का आधा हिस्सा पूरा कर लिया है।
इमाम के आवेदन के अनुसार, उन्होंने न्यायिक हिरासत में तीन साल और छह महीने बिताए हैं और इस प्रकार उन्हें आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 436 ए के तहत वैधानिक जमानत का हकदार होना चाहिए। आवेदन में कहा गया है कि इमाम अपनी रिहाई पर विश्वसनीय जमानत देने और किसी भी शर्त का पालन करने को तैयार हैं।
इमाम के खिलाफ आरोपों में भारतीय दंड संहिता के तहत राजद्रोह (धारा 124ए), विभिन्न धार्मिक समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना (धारा 153ए), राष्ट्रीय एकता के लिए प्रतिकूल दावे करना (धारा 153बी), सार्वजनिक उपद्रव के लिए अनुकूल बयान देना (धारा 505), साथ ही यूएपीए के तहत गैरकानूनी गतिविधियों (धारा 13) के लिए सजा शामिल हैं।
याचिका पर कड़कड़डूमा कोर्ट के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमिताभ रावत 11 सितंबर को सुनवाई करेंगे।