भारत मौजूदा समय में विश्व का चौथा सबसे बड़ा रिफाइनर है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की तरफ बढ़ रहा है। पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने मंगलवार को ये बात कही।

पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि देश में ऊर्जा की मांग 2050 तक दोगुनी होने की संभावना है। हमारा सारा ध्यान देश के मौजूदा एनर्जी इंफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ाने पर है।

इस मिशन के लिए मंत्रालय की ओर से ओएनजीसी और ऑयल इंडिया लिमिटेड के नामांकित क्षेत्रों से नए कुओं या कुओं से उत्पादित गैस के आवंटन को 20 प्रतिशत प्रीमियम (नई गैस के लिए भारतीय क्रूड बास्केट मूल्य का कुल 12 प्रतिशत) पर नोटिफाइड किया गया है

जबकि, पेट्रोलियम प्लानिंग और एनालिसिस सेल (पीपीएसी) द्वारा मासिक आधार पर घोषित प्रशासित मूल्य तंत्र (एपीएम) भारतीय क्रूड बास्केट मूल्य का 10 प्रतिशत तय किया गया है।

केंद्रीय मंत्री की ओर से कहा गया कि इससे कंपनियों को ऐसे नए गैस प्रोजेक्ट को विकसित करने में और चलाने में सफलता मिलेगी, जहां से गैस निकलना कठिन होता है और अधिक मात्रा में कैपिटल और टेक्नोलॉजी की आवश्यकता होती है। आत्मनिर्भर बनने के लक्ष्य की तरफ बढ़ते हुए देश ने रिकॉर्ड गैस उत्पादन दर्ज किया है।

उन्होंने आगे कहा कि भारत का गैस उत्पादन वित्त वर्ष 24 में 36.43 बिलियन क्यूबिक फीट (बीसीएम) रहा, जो कि वित्त वर्ष 21 में 28.7 बीसीएम था। वित्त वर्ष 26 तक देश का गैस उत्पादन 45.3 बीसीएम पहुंच सकता है।

देश में बढ़ती हुई ऊर्जा की मांग को देखते हुए सरकार का फोकस कच्चे तेल और गैस की खोज को बढ़ाना भी है। देश में जून में 5,594 मिलियन मीट्रिक स्टैंडर्ड क्यूबिक मीटर (एमएमएससीएम) गैस की खपत हुई थी।

सरकार के मुताबिक, ग्रीन ऊर्जा की बढ़ती हुई मांग को पूरा करने के लिए गैस कंपनियां भी अपने नेटवर्क को बढ़ा रही है। देश में जून में पेट्रोल, डीजल और जेट फ्यूल की मांग 2.6 प्रतिशत बढ़कर 20 मिलियन मीट्रिक टन हो गई है।

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