राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में इन दिनों हवा में सांस लेना आम जनता के लिए काफी मुश्किल भरा हो रहा है। हवा में लगातार प्रदूषण घुल रहा है। राष्ट्रीय राजधानी के कुछ इलाकों में धुंध की परत छाई रही और सोमवार को वायु गुणवत्ता ‘बहुत खराब’ श्रेणी में रही है।

वायु गुणवत्ता एवं मौसम पूर्वानुमान एवं अनुसंधान प्रणाली के अनुसार, दिल्ली का वायु गुणवत्ता सूचकांक 328 दर्ज किया गया। यह रविवार के औसत एक्यूआई 356 से थोड़ा ही बेहतर है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के अनुसार, आनंद विहार इलाके में सुबह 7 बजे एक्यूआई 357 दर्ज किया गया, जो ‘बहुत खराब’ श्रेणी में है, जबकि रविवार को यह 405 था, जो ‘गंभीर’ श्रेणी में था। अक्षरधाम मंदिर के आसपासएक्यूआई 357 दर्ज किया गया, जो कल सुबह 7 बजे 261 एक्यूआई से भी खराब है।

सफर ने अनुमान लगाया है कि दिल्ली में 1 जनवरी तक पटाखों पर प्रतिबंध के बावजूद, पटाखों के इस्तेमाल और पराली जलाने से होने वाले अतिरिक्त उत्सर्जन के कारण राजधानी में आने वाले सप्ताह में वायु गुणवत्ता ‘बहुत खराब’ श्रेणी में रहने की संभावना है। सफर की ओर से जारी नोटिस में कहा गया है, “प्रदूषकों के प्रभावी फैलाव के लिए मौसम संबंधी परिस्थितियां प्रतिकूल हैं।”

दिल्ली के एक छात्र वंश अग्रवाल ने सरकार से राजधानी शहर में प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए “नई तकनीकों और नवाचार” का उपयोग करने का आग्रह किया। उन्होंने एएनआई से कहा, “वाहन और औद्योगिक प्रदूषण सहित प्रदूषण में वृद्धि के कई कारण हैं। भले ही यह कहा जा रहा है कि दिवाली के कारण यह बढ़ रहा है, लेकिन इसके कई कारण हैं, इसे केवल दिवाली के लिए जिम्मेदार ठहराना गलत होगा। प्रदूषण के मुद्दे से निपटने के लिए एक उचित व्यवस्था होनी चाहिए। यहां बहुत सारे इंजीनियरिंग कॉलेज हैं, किसी तरह हमें नई तकनीकों और नवाचारों का उपयोग करना चाहिए, सरकार को इसे नियंत्रित करना चाहिए और इसका राजनीतिकरण करने के बजाय कुछ कदम उठाने चाहिए।”

उन्होंने ग्रेटर नोएडा और दिल्ली के बीच वायु गुणवत्ता की तुलना करते हुए कहा कि उन्हें लगता है कि राष्ट्रीय राजधानी में यह बदतर है। उन्होंने कहा, “अब एक छात्र के रूप में मैं यात्रा करता हूं, इसलिए यदि मैं ग्रेटर नोएडा और दिल्ली से तुलना करूं, तो मुझे लगता है कि यहां वायु गुणवत्ता बदतर है।”

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