उत्तर प्रदेश के कानपुर में यूपीएमआरसी मेट्रो परियोजना में काम कर रही है। कई स्थानों पर मेट्रो जमीन के अंदर से गुजर रही है। लेकिन आईआईटी, रावतपुर, बेनाझाबर जैसे स्थानों पर मेट्रो के लिए एलिवेटेड पटरी पटरी बिछाई गई है। इस दौरान 1408 पेड़ों की कटाई हुई है। इसके बदले वन विभाग को भुगतान भी किया गया है। लेकिन वन विभाग में करीब 5 साल बीत जाने के बाद भी एक भी पौधा नहीं लगाया है। जबकि आईआईटी से मोती झील के बीच मेट्रो का संचालन शुरू भी हो गया है। लेकिन पर्यावरण को सुरक्षित रखने के लिए वन विभाग उदासीन बना है। नियमानुसार एक पेड़ के बदले दस पेड़ लगाए जाने हैं।

कानपुर में मेट्रो का कार्य 2019 में शुरू हुआ था। पहले चरण में आईआईटी से काम शुरू किया गया था। रास्ते में पड़ने वाले बड़े-बड़े पेड़ों को काटने के लिए वन विभाग से अनुमति ली गई थी। 1408 पेड़ काटने के बदले 4.5 करोड रुपए वन विभाग को दिया गया था। जिससे पौधारोपण किया जाना था। लेकिन एक भी पौधा नहीं लगाया गया।
बताया जाता है एलएमएल चौराहा पनकी औद्योगिक क्षेत्र से शुरू होने वाले ग्रीन बेल्ट पर पौधे लगाने के लिए आए थे। लेकिन पौधे रखे रखे सूख गए। यहां की ग्रीन बेल्ट करीब 4 किलोमीटर की है। ग्रीन बेल्ट में लगाए जाने वाले पौधों की जिम्मेदारी नगर निगम को दिया गया था। इसके साथ ही उन्हें पेड़ को सुरक्षित रखने के लिए भी माली की व्यवस्था करनी थी। ‌केयरटेकर शिवांशु तिवारी ने बताया कि यहां पर 20 हजार पौधे लगाने के लिए आए थे। लेकिन पानी खराब होने के कारण पौधे सूख गए। यहां के पानी में केमिकल अधिक है। तीन ट्रकों में पौधे लगने के लिए आए हैं। जिन्हें लगाया जाएगा

क्या कहता है नियम?

डीएफओ प्रभारी अनिल कुमार द्विवेदी ने बताया कि वन विभाग के नियम के अनुसार एक पेड़ काटने के बदले 10 पौधे लगाए जाते हैं। इन पेड़ों को सुरक्षित रखने के लिए 5 साल देखरेख करने का नियम भी लागू है। इस संबंध में ने बताया कि 2024-25 में 4:50 करोड रुपए के इस्तेमाल से पौधे लगाए जाएंगे। इसके साथ ही सीमेंट के ट्री गार्ड भी लगाए जाएंगे। जिससे पेड़ों की सुरक्षा हो सके।

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