सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा बलात्कार के एक मामले में पीड़िता के ‘मांगलिक’ होने की जांच कराने संबंधी आदेश पर रोक लगा दी है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने रेप पीड़िता की कुंडली जांचने का आदेश दिया था। शीर्ष कोर्ट ने इस मामले पर रोक लगाते हुए कहा कि हाईकोर्ट इसमें केस की मेरिट पर सुनवाई करेगा। सुप्रीम कोर्ट ने इसे गैरजरूरी बताया है। अवकाशकालीन बेंच ने शनिवार (3 जून) को हुई विशेष सुनवाई में कहा कहा कि यह जानना जरूरी नहीं कि पीड़िता मांगलिक है या नहीं।
दरअसल, शादी का झांसा देकर संबंध बनाने के लिए एक शख्स पर दुष्कर्म का मामला दर्ज किया गया। आरोपी ने लड़की को मांगलिक बताकर शादी करने से इनकार कर दिया। इस मामले में आरोपी की जमानत याचिका 23 मई को इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच में सुनवाई के लिए लगी थी। हाईकोर्ट के जस्टिस बृज राज सिंह ने लखनऊ विश्वविद्यालय के एस्ट्रोलॉजी विभाग के अध्यक्ष से रिपोर्ट मांग ली कि लड़की की जन्मकुंडली में मंगल दोष है या नहीं। इसके साथ ही 26 जून को सुनवाई की अगली तारीख तय की थी।
सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के आदेश पर स्वतः संज्ञान लेते हुए विशेष सुनवाई की। जस्टिस सुधांशु धुलिया और पंकज मिथल की बेंच विशेष ने सुनवाई के दौरान सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता भी वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए जुड़े। उन्होंने कहा कि ज्योतिष एक विज्ञान है, लेकिन कोर्ट की सुनवाई में उसकी रिपोर्ट मांगना सही नहीं है। जजों ने कहा कि वह ज्योतिष विद्या पर सवाल नहीं उठा रहे हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि अदालती मामलों में उसकी कोई भूमिका नहीं है।
पीड़िता ने गोविंद राय उर्फ मोनू नामक शख्स पर आरोप लगाया कि उससे शादी का वादा करके संबंध बनाए। बाद में पीड़िता ने जब शादी का दबाव बनाया तो आरोपी ने शादी करने से मना कर दिया। आरोपी ने दलील दी कि लड़की की कुंडली में मांगलिक दोष है। ऐसे में वह शादी नहीं कर सकता। पीड़िता की तरफ से इस बाबत लखनऊ के चिनहट थाने में 15 जून, 2022 को रेप का केस दर्ज कराया गया, जिसके बाद आरोपी गोविंद को जेल भेज दिया गया था।