रूस-यूक्रेन युद्ध में भारतीय नागरिकों को लड़ने के लिए मजबूर करने की खबरों पर प्रतिक्रिया देते हुए विदेश मंत्रालय ने शुक्रवार को कहा कि वह इस मामले से अवगत है और वहां के समुदाय से उचित सावधानी बरतने का आग्रह किया है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने अपने बयान में कहा, “हम इस बात से अवगत हैं कि कुछ भारतीय नागरिकों ने रूसी सेना में एक नौकरी के तौर पर लड़ने का फैसला किया है।”
उन्होंने आगे कहा, “हमने भारतीय नागरिकों से आग्रह किया है कि वे सावधानी बरतें और युद्ध से दूर ही रहे। भारतीय दूतावास ने रूसी अधिकारियों के साथ भी इस मुद्दे को विस्तार से उठाया।”
विदेश मंत्रालय की यह प्रतिक्रिया ऐसे वक्त में आई है, जब बीते दिनों कांग्रेस नेता प्रियांक खडगे ने रूसी सेना में भारतीय नागरिकों की भर्ती का मुद्दा उठाया था और केंद्र सरकार से इस मामले में हस्तक्षेप की भी मांग की थी। इसके बाद चार भारतीय नागरिकों को छुड़ाया गया, जो कि रूस की प्राइवेट आर्मी के चंगुल में फँस गए थे।
मंत्री ने बेंगलुरु में पत्रकारों से बातचीत के दौरान कहा, “कर्नाटक और तेलंगाना के कई युवा वहां फँस गए थे। धोखे से इन युवाओं को वहां युद्ध में लड़ने के लिए भेजा गया था। लिहाजा भारत सरकार को इस मुद्दे को गंभीरता से लेना चाहिए। केंद्र सरकार को इस मामले में हस्तक्षेप कर भारतीय युवकों की रिहाई की दिशा में अतिशीघ्र प्रयास करना चाहिए।”
कर्नाटक के तीन युवाओं को धोखे से रूस की निजी सेना में भर्ती किया गया था।
सैयद इलियास हुसैन को बीते दिनों रूस की सेना में धोखे से भर्ती कर लिया गया था, जिसके बाद उनके पिता नवाज़ कलगी ने केंद्र सरकार से मामले में हस्तक्षेप की मांग कर उनकी रिहाई का मार्ग प्रशस्त करने को कहा था।
उन्होंने कहा, “मेरा बेटा 18 दिसंबर 2023 को रूस गया था। उससे कहा गया था कि उसे वहां पर सिक्योरिटी हेल्पर की नौकरी दी जाएगी, लेकिन अब उससे युद्ध में हिस्सा लेने के लिए कहा जा रहा है। इससे पहले मेरा बेटा दुबई में था, जिसके बाद उसने रूस जाने का फैसला किया।”
यह मामला उस वक्त प्रकाश में आया था, जब कुछ युवकों ने वीडियो बनाकर अपना दर्द बयां किया और भारत सरकार से मदद की गुहार लगाई।
इस वीडियो में एक शख्स यह कह रहा था, “प्लीज हमारी मदद कीजिए। हम एक बड़े फ्रॉड का शिकार हो गए।”
गौरतलब है कि एक एजेंट ने धोखे से इन युवाओं को यह कहकर रूस भेज दिया कि इन्हें वहां पर सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी दी जाएगी। लेकिन उन्हें जबरन रूसी सेना में भर्ती करवाया गया।