बिहार के हाजीपुर औद्योगिक क्षेत्र में बीते 10 सालों से जूते की एक ऐसी कंपनी कम कर रही है जिससे निर्मित ज्यादातर जूते रूस और यूरोपीय देश में बेचे जाते हैं।
इनमें सबसे ज्यादा जूते की सप्लाई रूस की सेना को की जाती है, जिसमें सेफ्टी जूते शामिल हैं।
साल 2018 में जूते की इस कंपनी का रूसी आर्मी के साथ कॉन्ट्रैक्ट हुआ था। यह कंपनी अब भारत के बाजार में भी सेफ्टी शूज उतारने की तैयारी में है। इस कंपनी में काम करने वाले 300 कर्मचारियों में से 70 प्रतिशत कर्मचारी महिलाएं हैं।
कंपनी के मैनेजर मोहम्मद मजहर ने बताया कि हम सेफ्टी जूते बनाते हैं, जिन्हें रूस में निर्यात किया जाता है। 2018 में यह कंपनी शुरू की गई थी, कंपनी का उद्देश्य रोजगार पैदा करना था और यहां सेफ्टी जूते बनाए जा रहे थे। बाद में कंपनी का कांटेक्ट रूस से हुआ और रूस में कंपनी के जूते निर्यात किए जाने लगे। कई यूरोपीय देशों में भी जूते की सप्लाई होने की बात सामने आई है। जूते बहुत खास हैं बेहद हल्के होते हैं, जो फिसलन से बचाते हैं। – 40 डिग्री सेल्सियस जैसे ठंडे मौसम का सामना भी इन जूतों को पहनकर किया जा सकता है।
उन्होंने बताया कि कंपनी में 70 फीसदी महिलाएं काम करती हैं। कंपनी में जो नई बहाली भी की जा रही है उसमें भी ज्यादातर महिलाओं को तरजीह दी जा रही है। यहां काम करने वाली ज्यादातर महिलाएं वैशाली और आसपास के इलाकों से आती हैं।
मजहर बताते हैं कि ये जूते बहुत ही हल्के होते हैं। रूस की आर्मी को जो जूते सप्लाई किए जाते हैं वह सेफ्टी शूज बूट हैं। इन्हें एक खास मटेरियल से बनाया जाता है, इसकी खासियत यह है कि ये स्लिप नहीं करता है। इससे पहाड़ों पर और जंगलों में आर्मी को काफी सुविधा होती है। यही कारण है कि लगातार यूरोपियन देशों में भी जूते की डिमांड बढ़ती जा रही है।