देश में इन दिनों अयोध्या के राम मंदिर में रामलला के प्राण प्रतिष्ठा समारोह को लेकर एक अलग-सा उत्सव का माहौल है। इस बीच मंदिर के ट्रस्टियों ने राम मंदिर आंदोलन में जान गंवाने वाले सभी शहीदों को याद किया है और उनके परिवार को प्राण प्रतिष्ठा समारोह का निमंत्रण पत्र भेजा है। उत्तर प्रदेश के अयोध्या में 2 नवंबर 1990 को रामलला के कारसेवक के रूप में प्राणों का बलिदान देने वालों में राजस्थान के जोधपुर के प्रोफेसर महेन्द्रनाथ अरोड़ा, सेठाराम परिहार, कोठारी बंधु भी शामिल थे। उनके समेत कई कारसेवकों ने राम मंदिर के लिए अपने प्राणों की आहुति दी थी, लेकिन अब 33 सालों के बाद इन कारसेवकों की इच्छा पूरी हुई।
राम मंदिर आंदोलन में शामिल कमलदान चारण और भंवर भारती ने निमंत्रण पत्र मिलने पर खुशी जाहिर की। न्यूज 24 की एक रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने कहा कि उस समय को याद करके आज भी उनके रोंगटे खड़े हो जाते हैं। उस समय अयोध्या पहुंचते ही पुलिसकर्मियों ने उन्हें घेर लिया। कहा आपका काम तो हो गया, अब आप वापस चले जाओ…कारसेवा तो हो गई, लेकिन हम लोगों ने तय किया था कि हम एक बार रामलला के दर्शन जरूर करेंगे। प्रदर्शन के दौरान अचानक से गोलियों की आवाज आने लगी, जिसके बाद सभी लोग भागने लगे, तभी मेरे पास खड़े अरोड़ा जी को एक गोली लगी। उसके बाद प्रोफेसर महेंद्र नाथ अरोड़ा और सेठाराम परिहार जैसे बलिदानियों के शव जोधपुर लाते हुए हमारे आंसू नहीं रुक रहे थे।
सेठाराम की मां सायर देवी (85) के मन में आज भी अपने बेटे को खोने का गम है, साथ ही रामलला के दर्शन की उमंग भी है। वह अब बोल नहीं पातीं, लेकिन उन्होंने लड़खड़ाती आवाज में कहा कि मैं जाऊंगी, रामलला के दर्शन करूंगी। सेठाराम के बेटे मुकेश परिहार निमंत्रण पत्र मिलने से बहुत ही खुश है। सपना पिता ने देखा था, लेकिन वे आज नहीं हैं। आज राम मंदिर बनकर तैयार है और रामलला उसमें विराज रहे हैं। सेठाराम के भाई विरेन्द्र परिहार ने कहा कि मेरे बड़े भाई की वजह से आज न केवल समाज, बल्कि पूरे गांव में उनका मान सम्मान है।

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