लोकसभा चुनाव के पहले भारतीय जनता पार्टी ने छह विधान परिषद के सदस्यों को सदन में भेज कर बड़ा दांव चला है. बीजेपी ने विधान परिषद में मनोनयन के जरिए निकाय से लोकसभा चुनाव तक चुनावी फील्ड सजा ली है. बीजेपी सरकार ने उत्तर प्रदेश विधान परिषद में राज्यपाल द्वारा मनोनीत किये जाने वाले सदस्यों के लिए छह नाम दिए हैं, जिनमें अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर तारिक मंसूर और प्रधानमंत्री के पूर्व प्रधान सचिव नृपेंद्र मिश्र के पुत्र का नाम भी शामिल है. इसके अलावा रजनीकांत माहेश्वरी, लालजी निर्मल, रामसूरत राजभर और हंसराज विश्वकर्मा को मनोनीत किया गया है.
विधान परिषद (MLC) के लिए मनोनीत सदस्यों की खाली छह सीटों में एक ब्राह्मण, एक वैश्य, एक मुस्लिम, एक अनुसूचित और दो पिछड़े वर्ग के प्रतिनिधि मनोनीत किए हैं. अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के कुलपति के नाम ने सभी को चौंका दिया है. बीजेपी से मिली जानकारी के अनुसार साकेत मिश्रा एक निवेश बैंकर, नीति योगदानकर्ता और पूर्वांचल विकास बोर्ड के सलाहकार हैं. वह भारतीय प्रबंधन संस्थान, कलकत्ता और सेंट स्टीफेंस कॉलेज के पूर्व छात्र हैं.
प्रोफेसर तारिक मंसूर अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के कुलपति हैं. इससे पहले, उन्होंने जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के प्रिंसिपल के रूप में कार्य किया. वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक प्रसून पांडेय कहते हैं कि बीजेपी ने तारिक मंसूर के जरिये मुसलमानों में अपनी पकड़ बनाने का प्रयास किया है तो लालजी प्रसाद निर्मल दलित वर्ग, हंसराज विश्वकर्मा और रामसूरत राजभर अन्य पिछड़ा वर्ग से आते हैं. साकेत मिश्रा ब्राम्हण और रजनीकांत महेश्वरी वैश्य समुदाय के हैं. इनके माध्यम से बीजेपी ने जातीय और सामाजिक समीकरण साधने का पूरा प्रयास किया है.
इसके साथ ही साकेत मिश्रा को विधान परिषद से भेजकर बीजेपी की नजर पूर्वांचल के बड़े ब्राह्मण वोटबैंक पर है. शिव प्रताप शुक्ला, कलराज मिश्र जैसे दिग्गज नेताओं के राज्यपाल बनने और सक्रिय राजनीति से दूरी के बाद बीजेपी युवा बड़े ब्राह्मण चेहरों को तलाश रही है. श्रावस्ती से लेकर देवरिया तक साकेत मिश्रा के परिवार का प्रभाव रहा है. पूर्वांचल में पूरी ताकत झोंकने वाली बीजेपी ब्राह्मण वोट बैंक को लेकर कोई जोखिम नहीं मोल लेना चाहती.
वर्तमान में 100 सदस्यीय उत्तर प्रदेश विधान परिषद में बीजेपी के 74 सदस्य हैं, जबकि प्रमुख विपक्षी दल समाजवादी पार्टी (सपा) के नौ, बहुजन समाज पार्टी (बसपा), अपना दल (सोनेलाल), निर्बल इंडियन शोषित हमारा आम दल (निषाद), जनसत्ता दल लोकतांत्रिक और शिक्षक दल (गैर-राजनीतिक) के एक-एक सदस्य हैं. इसके अलावा स्वतंत्र समूह और निर्दलीय के दो-दो सदस्य हैं. आठ सीटें फिलहाल खाली थी, जिनमें छह का मनोनयन होने के बाद अब सिर्फ दो सीटें खाली रह गयी हैं.