बरेलीः इत्तेहाद-ए-मिल्लत काउंसिल (आईएमसी)  के प्रमुख मौलाना तौकीर रजा खां ने सोमवार को विवादित बयान देते हुए माफिया अतीक और अशरफ की हत्या को लेकर राज्य सरकार और यूपी पुलिस के साथ कानून- व्यवस्था पर कई सवाल खड़े किए। अपने आवास पर आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने सीधा आरोप लगाया कि इस हत्या के लिए पुलिस ने किराए के गुंडों का सहारा लिया। बुधवार को इस्लामिया ग्राउंड पर धरने का एलान करते हुए उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री में अगर जरा भी मानवता बची है तो उन्हें पद से इस्तीफा दे देना चाहिए।

मौलाना तौकीर की प्रेस कॉन्फ्रेंस से पहले सीओ फर्स्ट श्वेता कुमारी यादव की ओर से आईएमसी के मीडिया प्रभारी इदरीस के घर पर नोटिस चस्पा कराकर चेतावनी दी गई कि अगर प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद माहौल खराब हुआ तो कठोर कार्रवाई की जाएगी लेकिन इसके बावजूद मौलाना ने प्रेस कॉन्फ्रेंस रद्द नहीं की। उन्होंने आरोप लगाया कि अतीक और अशरफ के हत्यारों को सांसद-विधायक बनाने का लालच दिया गया है। तौकीर ने कहा कि है पुलिस नहीं चाहती कि वह प्रेस से बात करें, लेकिन हालात किसी से छुपे नहीं हैं।

उन्होंने कहा कि विकास दुबे से लेकर अब तक जो एनकाउंटर हुए हैं, उन सबका दोषी एक ही आदमी है जो कहता है मिट्टी में मिला देना चाहिए और मिट्टी में मिला देता है। मौलाना ने कहा कि सिर्फ लवलेश या अरुण को पकड़ने से कुछ नहीं होगा। पुलिस और गुंडों के बीच गठबंधन बन गया है। मौलाना तौकीर रजा ने कहा कि बुधवार को दिन में 12 बजे इस्लामिया इंटर कॉलेज के ग्राउंड पर वह धरना देंगे और जब तक सुनवाई नहीं होगी, धरने से नहीं उठेंगे।

दरगाह उस्तादे जमन ट्रस्ट के प्रमुख मौलाना मोहम्मद कैफ रजा खां कादरी और अजमेर शरीफ दरगाह के सरवर विश्ती ने आईएमसी प्रमुख मौलाना तौकीर रजा खां की अपील का समर्थन किया है। मौलाना कैफ रजा ने 19 अप्रैल को तौकीर मियां के धरने में शामिल होने की अपील करते हुए कहा कि वक्त रहते अमन पसंद नागरिक संविधान की रक्षा के लिए आगे नहीं आए तो देश में तानाशाही कायम हो जाएगी। अजमेर की दरगाह कमेटी के सचिव सरवर चिश्ती ने एक बयान जारी कर कहा है कि संविधान में यकीन रखने वालों को मौलाना तौकीर के साथ आना चाहिए। हम किसी अपराध या अपराधी का समर्थन नहीं करते लेकिन सबके साथ एक जैसा सलूक होना चाहिए। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया को भी इस पर ध्यान देना चाहिए। जुल्म के खिलाफ आवाज उठाना सबसे बड़ा फर्ज है। देश में सांप्रदायिक सौहार्द तभी कायम हो सकता है जब सभी वर्गों का साथ मिले।

 

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