दालों की महंगाई और जमाखोरी रोकने के लिए मोदी सरकार ने शुक्रवार को तुअर और चना दालों पर भंडार सीमा लगा दी। कीमतों पर नियंत्रण के लिए इस साल 30 सितंबर यह स्टॉक लिमिट जारी रहेगी। यह आदेश थोक विक्रेताओं, खुदरा विक्रेताओं, बडे रिटेल चेन, मिल मालिकों और आयातकों पर लागू होगी। इस कदम का मकसद जमाखोरी और सट्टेबाजी को रोकना और तुअर व चना को आम लोगों की पहुंच में लाना है।
बडे रिटेल चेन और थोक विक्रेताओं के लिए भंडार सीमा 200 टन, खुदरा विक्रेताओं के लिए 5 टन और मिल मालिकों के लिए यह सीमा उत्पादन के अंतिम तीन महीने या वार्षिक स्थापित क्षमता का 25% होगा। आयातकों को सीमा शुल्क निकासी की तारीख से 45 दिन से अधिक का आयातित भंडार नहीं रखना है। घरेलू स्तर पर किसानों को अच्छी कीमत मिलने तथा अच्छे मानसून की उम्मीद से इस मौसम में तूर और उड़द जैसी खरीफ दालों की बुआई में वृद्धि होने की उम्मीद है। इस कारण सरकार को लग रहा है कि आने वाले महीनों में तूर और उड़द जैसी खरीफ दालों की कीमतों में कमी लाने में हेल्प मिल सकती है।
सरकार ने सभी संबंधित मिल संचालकों, व्यापारियों व आयातकों को नए आदेश का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए कहा है। इसके लिए सभी संबंधित पक्ष उपभोक्ता मामले विभाग के पोर्टल (https://fcainfoweb.nic.in/psp) पर स्टॉक की जानकारी देंगे।
दालों के लिए स्टॉक की लिमिट का आदेश 21 जून से लागू हो गया है। सरकार ने विभिन्न दालों के लिए स्टॉक की ये लिमिट 30 सितंबर 2024 तक के लिए तय की है। आयातकों को कहा गया है कि वे सीमा शुल्क निकासी की तारीख से 45 दिनों से अधिक समय तक आयातित स्टॉक को अपने पास नहीं रख सकते हैं। यह आदेश अरहर दाल, चना दाल और काबुली चना पर लागू है।