कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने मानहानि के मामले में लोकसभा सदस्यता से अयोग्य करार दिए जाने के एक दिन बाद शनिवार को अपने किसी भी बयान के लिए माफी मांगने या खेद जताने से स्पष्ट इनकार करते हुए कहा, “मेरा नाम सावरकर नहीं है, मेरा नाम गांधी है, गांधी किसी से माफी नहीं मांगता। गांधी ने राजधानी में कांग्रेस मुख्यालय पर विशेष रूप से आयोजित संवाददाता सम्मेलन में कहा कि उनके संसद की सदस्यता से अयोग्य किए जाने की कार्रवाई या उन्हें संसद में बोलने का मौका न दिए जाने का केवल एक कारण है कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उद्यमी ‘अडानी जी’ के संबंधों पर उठ रहे सवाल से जनता का ध्यान भटकाना चाहती है।

कांग्रेस नेता ने कहा, ”मैं संसद में रहूं या संसद के बाहर रहूं। मैं इस मुद्दे को उठाता रहूंगा और इससे पर्दा उठाकर ही रहूंगा।” राहुल गांधी ने गौतम अडानी के नेतृत्व वाले अडानी उद्योग समूह तथा कथित शेल कंपनियों में 20 हजार करोड़ रुपये के निवेश का मुद्दा उठाते हुए कहा कि यह पैसा अडानी का हो नहीं सकता, क्योंकि उनके कारोबार में इस स्तर की नकद कमाई नहीं होती। उन्होंने अडानी को ‘भ्रष्ट’ बताते हुए कहा कि यह पैसा जब भारत में ड्रोन और मिसाइल जैसे उद्योगों में लगाया गया है, तो रक्षा मंत्रालय को इसकी चिंता क्यों नहीं होती कि इसमें किसका पैसा लगा हुआ है।

कांग्रेस नेता ने यह भी संकेत दिया कि अडानी के निवेशकों में ‘चीन का एक नागरिक भी’ है। पार्टी के मुख्य प्रवक्ता जयराम रमेश, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पार्टी नेता एवं विधि विशेषज्ञ अभिषेक मनु सिंघवी के साथ संवाददाताओं के सामने आए राहुल गांधी ने कहा, ”मैं नरेन्द्र मोदी पर सवाल नहीं कर रहा हूं, मैं अडानी पर सवाल कर रहा हूं। आप अडानी को इसलिए बचा रहे हो, क्योंकि आप ही अडानी हो।” सूरत की अदालत द्वारा 2019 के आपराधिक अवमानना के मामले में सजा सुनाये जाने को लेकर संवाददाताओं द्वारा पूछे गए विभन्नि सवालों को उन्होंने यह कहते हुए टाल दिया कि कानूनी मुद्दों पर सवाल मेरी लीगल टीम से पूछे जा सकते हैं।

उल्लेखनीय है कि राहुल गांधी को सूरत के न्यायिक मज्ट्रिरेट एच. एच. वर्मा की अदालत ने गुरुवार को 2019 में आपराधिक मानहानि कारक उनके वक्तव्य को लेकर दायर मामले में भारतीय दंड संहिता की धारा 499 और 500 के अंतर्गत कुसूरवार करार देते हुए उन्हें दो साल की सजा सुनायी है। सजा के खिलाफ ऊपरी अदालत में जाने के लिए उन्हें 30 दिन का समय दिया गया है। गांधी को दो साल की कारावास की सजा सुनाए जाने के फैसले के एक दिन बाद शुक्रवार को संसद से उनकी सदस्यता समाप्त कर दी गई। लोकसभा सचिवालय की ओर से जारी अधिसूचना में कहा गया है कि यह कार्रवाई जनप्रतिनिधत्वि अधिनियम के प्रावधानों के तहत की गयी है। राहुल गांधी को ऊपरी अदालत में दोषमुक्त नहीं किया जाता या उनको दोषी करार दिए जाने के फैसले पर रोक नहीं लगती, तो उनकी सदस्यता बहाल नहीं होगी और वह आठ साल तक चुनाव लड़ने के अयोग्य रहेंगे।

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