देश की नई संसद भवन का आज पीएम मोदी शुभारंभ करेंगे। नई संसद भवन के परिसर को मेरठ के सुगंधित फूलों से सजाया गया है। नए संसद भवन परिसर में मेरठ शाहजहांपुर के फूल सूबसूरती की शोभा बढ़ाएंगे।
मेरठ के शाहजहांपुर कस्बे को दो साल तक नई संसद भवन को फूलों से सजाने का जिम्मा मिला है। बता दें कस्बा शाहजहांपुर में नर्सरी और बागवानी का काम बड़े पैमाने पर होता है। यहां की नर्सरी के फूल और बागवानी के पौधें देश और विदेश में भेजे जाते हैं।
नई संसद भवन को फूलों से सवारने और महकाने का जिम्मा नर्सरी क्षेत्र में 93 साल से कारोबार कर रहे वाटिका नर्सरी के मालिक गालिब को मिला है।
शाहजहांपुर कस्बे की वाटिका नर्सरी देश में विख्यात है। वाटिका नर्सरी संचालक गालिब संसद भवन की सजावट के लिए दो साल तक फूल उपलब्ध कराएंगे। नर्सरी संचालक गालिब ने बताया की मार्च में नए संसद भवन के प्रांगण की सजावट के लिए नई प्रजातियां रोपी गई थी।
शाहजहांपुर कस्बे की वाटिका नर्सरी देश में विख्यात है। वाटिका नर्सरी संचालक गालिब संसद भवन की सजावट के लिए दो साल तक फूल उपलब्ध कराएंगे। नर्सरी संचालक गालिब ने बताया की मार्च में नए संसद भवन के प्रांगण की सजावट के लिए नई प्रजातियां रोपी गई थी।
अब नई संसद के शुभारंभ में यहां से कई प्रजातियों के फूल भेजे गए हैं। नया संसद भवन एक बड़ा प्रोजेक्ट है। जिसकी सजावट के लिए दो साल तक फूल भेजने की जिम्मेदारी मिली है।
शाहजहांपुर की नर्सरी में तैयार किए फूलों को टाटा ग्रुप की सहायक कंपनी दिल्ली की नए संसद भवन में लगाएगी। संसद भवन की सजावट के लिए सजावटी पौधे जकरैंडा, गुलमोहर, केशिया फिसट्रूला, एरनर्थिना इंडिया, परीजात, तबुबिया, रोजिया, एरिका, पाम, रेडमचिरा, सटूसा, टोरेरी, कुरेजिया, माइकेलिया चंपा, बहोनिया ब्लेकपाना आदि भेजे जा चुके हैं।
मेरठ के गढ़ रोड स्थित शाहजहांपुर कस्बे के नर्सरी कारोबार की बाते करें तो यहां पर सबसे पहले नर्सरी कारोबार की शुरूआत 1929 में हुई थी। टिबर और फ्लावर पौधों के लिए देश और विदेश में विख्यात शाहजहांपुर आज किसी परिचय का मोहताज नहीं है। आज शाहजहांपुर को बागवानी और नर्सरी कारोबार को विश्व में पहचान मिली है। शाहजहांपुर के फूल अन्य अवसरों पर भी देश के प्रसिद्ध और एतिहासिक परिसरों को महका और सजा चुके हैं।