मुजफ्फरनगर। कोर्ट के आदेश पर सोमवार को जनपद के पूर्व डीएम  को न्यायिक हिरासत में ले लिया गया। जिसके 2 घंटे बाद उन्हें जमानत पर रिहा कर दिया गया। पर्व डीएम ने 25 साल पुराने मानहानि के एक मुकदमे में कोर्ट से गैर जमानती वारंट जारी होने के बाद सरेंडर किया था।

1988-89 के दौरान डीएम मुजफ्फरनगर रहे विनोद शंकर चौबे ने शासन को एक गोपनीय पत्र लिखा था। जिसके लीक होने के बाद अधिवक्ता ज्ञान कुमार ने सीजीएम कोर्ट में उनके विरुद्ध मानहानि का आरोप लगाते हुए एक प्राइवेट वाद दायर किया था। आरोप था कि तत्कालीन डीएम विनोद शंकर चौबे ने शासन को लिखे पत्र में जनपद के जाट और मुस्लिम समुदाय पर अशोभनीय टिप्पणी की थी। आमजन में पत्र के लीक होने और समाचार पत्रों में उसके प्रकाशित होने के बाद बवाल मच गया था। सियासी हलकों में बवाल के बाद विनोद शंकर चौबे का ट्रांसफर हो गया था।
सीजेएम कोर्ट में दायर प्राइवेट वाद एडवोकेट जान कुमार बनाम विनोद शंकर चौबे के मामले में सुनवाई शुरू हुई थी। लेकिन पूर्व डीएम ने इस मामले में हाईकोर्ट से स्टे ले लिया था। जिसके विरूद्ध एडवोकेट ज्ञान कुमार ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया तो सुनवाई उपरांत स्टे को खारिज कर दिया गया।

मुकदमे में पेशी से लगातार गायब रहने पर करीब डेढ़ वर्ष पूर्व ज्यूडिशल मजिस्ट्रेट कोर्ट संख्या 2 से तत्कालीन डीएम विनोद शंकर चौबे के विरुद्ध गैर जमानती वारंट जारी हुए थे। सोमवार को उन्होंने जेएम सेकंड कोर्ट में आत्मसमर्पण कर दिया। जिसके उपरांत उनके अधिवक्ता की ओर से दायर प्रार्थना पत्र पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने उन्हें जमानत प्रदान कर दी।

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