मुजफ्फरनगर में या हुसैन या हुसैन की अदाओं के साथ 5 मोहर्रम का जुलूस बरामद हुआ। शिया सोगवारो ने सीनाजनी की। जुलूस में ज़ुलजुना (इमाम का घोड़ा) बरामद हुआ। सोगवार ज़ार-ज़ार रोने लगे। जुलूस में आगे-आगे आलम और ताजिया लेकर चले।
मुजफ्फरनगर में शिया मुसलमान मोहर्रम मना रहे हैं। इस माह में समाज के लोग हजरत अली के बेटे इमाम हुसैन और उनके परिवार की ओर से दीन की राह में पेश की गई।कुर्बानियों का जिक्र कर रोते हैं। सोमवार शाम को मोहर्रम की 5 तारीख का जुलूस शहर के बकरा मार्केट गढ़ी गोरवान मोहल्ला से निकाला गया।
बल्लन मियां-अच्छन मियां के अजाखाने पर 2:00 बजे मजलिस शुरू हुई। मिम्बर ए रसूल से मौलाना ने अहलेबैत का मर्तबा बयान किया। कहा कि अब से 1400 साल पहले कर्बला के मैदान में इमाम हुसैन ने अपने नाना के दीन को बचाने के लिए राहे खुदा में शहादत पेश की थी। मजलिस के बाद जुलूस बरामद हुआ। जुलूस मोहल्ला गढ़ी गोरवान्न होते हुए शहर के मुख्य रास्तों से होते हुए खालापार में इमामबारगाह आरफीयान पहुंचा।
जुलूस के दौरान ज़ुलजुना की जियारत कर शिया सोगवार ज़ार ज़ार रोए। समाज के लोग जुलूस में नोहाख्वानी और सीनाजनी करते हुए आगे बढ़े। लारेब, अस्करी, कल्बे हसनैन, नजमुल हसन आदि ने नोहखवानी और ज़ियारत पढ़ी।