मुजफ्फरनगर पुलिस ने कांवड़ यात्रा को लेकर एक फरमान जारी किया है। इसमें कहा है कि कांवड़ यात्रा मार्ग पर ढाबे वाले और खाने-पीने की चीजें वाले ठेले वालों को अपना नाम लिखना होगा। अब विपक्ष इस मुद्दे को लेकर योगी सरकार को सवाल के कटघरे में खड़ा कर रहा है। वहीं, अब इसको लेकर पूर्व मंत्री और भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता मुख्तार अब्बास नकवी ने भी आलोचना की है।

सोशल मीडिया एक्स पर पोस्ट करते हुए मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा, कुछ अति-उत्साही अधिकारियों के आदेश हड़बड़ी में गड़बड़ी वाली… अस्पृश्यता की बीमारी को बढ़ावा दे सकते हैं। आस्था का सम्मान होना ही चाहिए।  मगर अस्पृश्यता का संरक्षण नहीं होना चाहिए। इसके अलावा उन्होंने एक दोहा भी लिखा  ‘जनम जात मत पूछिए, का जात अरु पात, रैदास पूत सब प्रभु के, कोए नहीं जात कुजात’।
इससे पहले बॉलीवुड के फेमस लेखक जावेद अख्तर ने भी इस मामले में यूपी पुलिस पर हमला बोला था। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में जावेद अख्तर ने लिखा, मुजफ्फरनगर यूपी पुलिस को आने वाले दिनों में धार्मिक यात्रा मार्ग पर दुकानों, रेस्टोरेंट और यहां तक ​​कि वाहनों पर मालिक का नाम लिखने का निर्देश दिया गया है। ऐसा क्यों? इसी पोस्ट में उन्होंने आगे लिखा कि नाजी जर्मनी में सिर्फ विशेष दुकानों और घरों पर निशान बनाते थे।

जिला प्रशासन के इस आदेश से सियासी बखेड़ा खड़ा हो गया है। मुजफ्फरनगर का ये मामला अब तुल पकड़ता हुआ नजर आ रहा है। बीजेपी के इस मामले से उनकी पार्टी के कई नेता नाराज हैं। इस फैसले की केंद्र और बिहार में उसके सहयोगी दल JDU ने इस आदेश पर कड़ी आपत्ति जताई है। केसी त्यागी ने कहा, ‘कांवड़ यात्रा सदियों से पश्चिमी उत्तर प्रदेश के इलाकों से गुजर रही है और सांप्रदायिक तनाव की सूचना नहीं मिली है। हिंदू, मुस्लिम और सिख भी स्टॉल लगाकर तीर्थयात्रियों का स्वागत करते हैं। मुस्लिम कारीगर भी कांवर बनाते हैं। ऐसे आदेशों से सांप्रदायिक तनाव बढ़ सकता है।’

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